बर्फीला पठार पर त्रि-आयामी परिवहन नेटवर्क से स्थापित सुनहरा पुल
तिब्बत में पहले विद्युतीकृत रेलवे ल्हासा-न्यिंगची रेल सेवा गत 25 जून को शुरु हुई। यह रेल मार्ग सछ्वान-तिब्बत रेलवे का एक हिस्सा है। इसके चलते बर्फिला पठार औपचारिक तौर पर “फ़ूशिंग” युग में प्रवेश कर गया है। ल्हासा-न्यिंगची रेलवे ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा से न्यिंगची शहर तक की यात्रा को पहले लगने वाला एक दिन से घटाकर तीन घंटे कर दिया है।
वर्तमान में तिब्बत में ल्हासा में कोंगका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, आली प्रिफेक्चर में खुनशा हवाई अड्डा, छांगतु प्रिफेक्चर में पांगता हवाई अड्डा, शिकाजे में हफिंग हवाई अड्डा और न्यिंगची में मीलिन हवाई अड्डा सहित पांच हवाई अड्डे का उपयोग किया जाता है।
जुलाई साल 2006 में छिंगहाई-तिब्बत रेलमार्ग का यातायात औपचारिक तौर पर शुरु हुआ। यह देश के भीतरी इलाके और तिब्बत को जोड़ने वाला पहला रेल मार्ग है। छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग समुद्र सतह से दुनिया में सबसे ऊंचाई और सबसे लम्बी पठारीय रेल-लाइन है। दिसम्बर 2018 में, सछ्वान-तिब्बत रेलवे के छंगतु से याआन भाग की सेवा शुरु हुई। 25 जून 2021 को, ल्हासा-न्यिंगची रेलवे का यातायात शुरु हुआ।
हवाई और रेलवे के अलावा, देश के भीतरी इलाके से तिब्बत में प्रवेश करने वाले रास्ते में छिंगहाई-तिब्बत राजमार्ग, सछ्वान-तिब्बत राजमार्ग, युन्नान-तिब्बत राजमार्ग और शिनच्यांग-तिब्बत राजमार्ग आदि उच्च स्तरीय मार्ग उपलब्ध हैं। वर्ष 1951 में शांतिपूर्णण मुक्ति के बाद से लेकर अब तक पिछले 70 सालों में तिब्बत में एक त्रि-आयामी यातायात नेटवर्क स्थापित किया जा चुका है, जिसने तिब्बत के लिए एक सुनहरा पुल स्थापित किया है, बर्फिला पठार के भीतर और बाहर की दूरी अब कम हो गई है।
यातायात के लगातार और जोरदार विकास के चलते, स्थानीय तिब्बती लोगों की यात्रा अधिक से अधिक सुविधाजनक होती जा रही है और "त्वरित पहुंच और आराम से घूमने" वाले तरीके से बर्फिला पठार ज्यादा से ज्यादा आगंतुकों को आकर्षित करता है।