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तिब्बत में गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण में भारी निवेश

criPublished: 2021-08-12 15:02:06
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पिछले 10 से अधिक सालों में तिब्बत में गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों का जोरदार विकास हुआ। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के संस्कृति विभाग से मिली खबर के अनुसार, साल 2006 के बाद से, केंद्र से 20 करोड़ युआन की राशि और स्वायत्त प्रदेश से 9.6 करोड़ युआन की राशि मिली है, जिनका उपयोग तिब्बत में राष्ट्र और स्वायत्त प्रदेश दोनों स्तरीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण, राष्ट्र स्तरीय उत्तराधिकारियों द्वारा विरासतों के बचाव, गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के उत्तराधिकारियों के प्रशिक्षण और विरासतों के आगे विकास आदि गतिविधियों में किया जा रहा है।

वर्तमान में तिब्बत में महाकाव्य“राजा गेसार”, तिब्बती ओपेरा, तिब्बती चिकित्सा स्नान विधि संयुक्त राष्ट्र मानव जाति के गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल हो चुके हैं, जबकि ल्हासा के त्वेश्यो थांगखा चित्र सहित 106 परियोजनाओं को राष्ट्र स्तरीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल किया गया। वहीं गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत के राष्ट्र स्तरीय प्रतिनिधि उत्तराधिकारी के रूप में 96 लोगों की पहचान की गई।

तिब्बत में गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के उत्तराधिकार और अच्छे विकास के चलते स्थानीय ग्रामीण उत्थान और किसानों की समृद्धि को भी बढ़ावा मिला है। थांगखा चित्र बनाना, तिब्बती ओपेरा का प्रदर्शन, तिब्बती अगरबत्ती और तिब्बती औषधि आदि से संबंधित उद्योग का विकास भी फल-फूल रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष की पहली तिमाही के अंत तक, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों से संबंधित 120 कार्यशालाओं में 2,271 परिवारों के 3,053 लोगों को रोजगार के मौके मिले हैं, प्रति व्यक्ति मासिक औसतन आय 3,200 युआन तक पहुंच गई है।

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