सुनहरे शरद ऋतु में जौ की सुगंध, फसल की खुशियां खिलती हैं फूल की तरह
इन दिनों शरद ऋतु में छिंगहाई-तिब्बत पठार पर सूरज बहुत तेज चमक रहा है। यह फसल का मौसम है। खेतों में जौ की बालियां सूर्य की किरणों में सुनहरे रंग की दिख रही हैं और हवा में सुगंध फैल रही हैं। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के ताक्ज़े जिले में जौ के खेतों में फ़सल काटने की मशीन आ-जा रही हैं, अच्छी फसल का व्यस्त दृश्य दिखाई दे रहा है। पाइना गांव में गांववासी तानजंग लांगच्ये ट्रैक्टर चलाते हुए खेती तट पर इंतजार कर रहा है, उसका चेहरा खुशी से भरा है। वह बोला कि यह वर्ष एक और अच्छी फ़सल का साल है। खेतों में सुगंधित जौ न केवल परिवार के लिए राशन है, बल्कि घर में आय का महत्वपूर्ण स्रोत भी है।
जौ, समुद्र सतह से उच्च ऊंचाई वाले छिंगहाई-तिब्बत पठार पर एक प्रकार का गेहूं का खास पौधा है। हजारों वर्षों में यह स्थानीय वासियों का मुख्य अनाज रहा है। इधर के सालों में सामाजिक आर्थिक विकास और जन जीवन स्तर की उन्नति के चलते, जौ के अलग-अलग उत्पाद सामने आते हैं, जो बर्फिले पठार पर लोगों के जीवन में अनोखा आनंद लाता है। जौ के आटे से बनाए गए पारंपरिक चानपा पकवान के अलावा, जौ के तिब्बती नूडल्स, जौ शराब, जौ बिस्कुट, जौ राइस कैंडी, जौ ओटमील आदि उत्पादों का लगातार विकास हो रहा है।
अतीत में भरपेट वाले अनाज से लेकर वर्तमान में जौ चावल, जौ नूडल्स, बिस्कुट, पेय, भोजन प्रतिस्थापन खाद्य पदार्थ तक, फिर उच्च तकनीक व उच्च पोषण वाले उत्पादों तक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास और समर्थन से पठार पर सबसे आम फसलों ने अब एक शानदार मोड़ हासिल कर लिया है, जो तिब्बती कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण उद्यमों की "सुनहरी कुंजी" और किसानों व चरवाहों की जेब में "सुनहरे बीज" बन गया है।
इधर के सालों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और देश की उदार नीतियों के सहारे, तिब्बती किसान और चरवाहों को सरकार से अनुदान मिला। उन्होंने बुवाई और कटाई के लिए ट्रैक्टर और बोने की मशीन जैसे कृषि उपकरण खरीदे। कृत्रिम श्रमिक शक्ति का उपयोग कम होने लगा है। कृषि विज्ञान व प्रौद्योगिकी कर्मचारी हाथ में हाथ डालकर किसानों को वैज्ञानिक रोपण की तकनीक सिखाते हैं, जिससे उन्हें अच्छी फसल प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही व्यापारी जौ खरीदने गांव-गांव आते हैं, अब किसान बिक्री के बारे में चिंता कभी नहीं करते।
चीन में कहावत है कि “वसंत में एक बाजरे का रोपण किया जाए, तो शरद ऋतु में दस हजार बीजों की फ़सल होगी”। सुनहरे मौसम में, तिब्बती लोग जौ की कटाई कर रहें है, और साथ ही साथ वे खुशियां भी हासिल कर रहे हैं।