क्या तथाकथित "मानवाधिकार रक्षक" फिर से अपने विश्वास को धोखा देना चाहते हैं?
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल ही में एक बयान जारी कर तथाकथित मानवाधिकारों के आधार पर चीन के अंदर और बाहर तथा अमेरिका में कुछ चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने का दावा किया।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी इस तथाकथित बयान में ब्लिंकन ने कहा कि “अमेरिका दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और जवाबदेही ठहराने के लिए सभी राजनयिक और आर्थिक उपायों का उपयोग करना जारी रखेगा।” ऐसा बयान बेहद विडंबनापूर्ण है। क्या यह अमेरिका द्वारा किए गए कई मानवाधिकार अपराधों की दुनिया की निंदा नहीं है?
ब्लिंकन का बयान 20 मार्च को इराक युद्ध छेड़ने की 19वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले आया है। अमेरिका अब तक इस युद्ध के सबूत पेश करने में विफल रहा है जिसमें लगभग 2 लाख आम नागरिक मारे गए थे।
अनगिनत लोग हैं जिन्होंने इराक, अफगानिस्तान, सीरिया, यूक्रेन से अमेरिका द्वारा थोपे गये युद्ध के दर्द का सामना किया है, और अनगिनत तथ्यों ने साबित किया है कि अमेरिका दुनिया में सबसे बड़ा मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता है। तथाकथित अमेरिकी मूल्यों की आड़ में, उन्होंने युद्धों का निर्माण किया और आपदाओं का निर्यात किया, जिससे दुनिया के कई हिस्सों में लोगों के लिए गंभीर आपदाएँ पैदा हुईं।
साथ ही, अमेरिका में ही मानवाधिकारों की स्थिति बहुत खराब है। इतिहास में अमेरिका ने रेड इंडियंस को शारीरिक और सांस्कृतिक रूप से नष्ट करके नरसंहार किया है। अमेरिका में आज भी प्रणालीगत नस्लवाद मौजूद है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 49वें सत्र में कई देशों ने अमेरिका में आदिवासियों के मानवाधिकारों के प्रणालीगत उल्लंघन के दीर्घकालिक और आपराधिक इतिहास की निंदा की, और अमेरिका से इस पर आत्म-निरीक्षण करने, जांच करने और जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया।
अमेरिका ने अपने देश और विदेश में एक के बाद एक मानवाधिकार उल्लंघन किया है। लेकिन वह "मानवाधिकारों" के नाम पर चीन के खिलाफ तथाकथित प्रतिबंध लगाना चाहता है। गौरतलब है कि ब्लिंकन के बयान की पूर्वसंध्या पर चीनी और अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों ने एक बार फिर वीडियो वार्ता की थी। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन को दिए गए उस वचन को दोहराया, यानी कि अमेरिका नया शीत युद्ध नहीं चाहता है, चीन की व्यवस्था को बदलने की कोशिश नहीं करता है, चीन के खिलाफ अपने गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश नहीं करता है, “थाईवान स्वतंत्रता” का समर्थन नहीं करता है, और चीन के खिलाफ़ कोई संघर्ष या टकराव करने का कोई इरादा नहीं है।
वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन-अमेरिका संबंधों में मौजूदा स्थिति का सीधा कारण यह है कि "अमेरिका की ओर से कुछ लोगों ने हम दोनों के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को लागू नहीं किया है, न ही उन्होंने राष्ट्रपति के सकारात्मक रूख को लागू किया है।"
इस बार, ब्लिंकन ने मानवाधिकारों के नाम पर चीन की निंदा की, चीनी अधिकारियों का बेवजह दमन दिया, चीनी और अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों की आम सहमति का उल्लंघन किया और राष्ट्रपति बाइडेन के वादे को नजरअंदाज किया। क्या ऐसा हो सकता है कि वह अपने विश्वास को फिर से धोखा देना चाहते हैं? !