हिन्दी

महामारी का मुकाबला करने में सबसे बड़ा असफल देश अमेरिका है

cri2022-03-18 19:36:05

अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने हाल में सरकार का भारी बजट संबंधी एक बिल पारित किया, जिसमें यूक्रेन को 13.6 अरब डॉलर की आपात सहायता शामिल है। लेकिन महामारी रोधी पूंजी के वितरण में मतभेद होने के नाते हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने बिल में सीधे 15.6 अरब डॉलर के बजट को काटा है। इस निर्णय ने फिर एक बार दुनिया को यह जाहिर किया है कि विश्व का एकमात्र सुपर देश होने के नाते राजनीतिक व निजी लाभ कैसे लोगों की जान के ऊपर रखे जाते हैं। मानवाधिकार का ढिंढोरा बजाने वाले अमेरिकी राजनेता कैसे आम लोगों के मानवाधिकार को पैरों तले रौंदते हैं।

आंकड़े बताते हैं कि हाल में अमेरिका में कोविड-19 के कुल 8 करोड़ संक्रमित मामले हैं और इससे मारे गये लोगों की संख्या भी लगभग 10 लाख तक पहुंच चुकी है। महामारी का मुकाबला करने में अमेरिका विश्व में सब से बड़ा विफलता देश है।

वास्तव में अमेरिका में जबरन टीकाकरण करने से महामारी पूंजी के वितरण तक लगभग हरेक महामारी कोरोना रोधी नीति में राजनीतिक विवाद से संबंधित है। हाल में अमेरिकी सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई दी कि टीकाकरण का जबरदस्त कार्यान्वयन नहीं किया जाना चाहिए, जिससे ह्वाइट हाऊस की नीति सफल नहीं हो सकती। द हिल ने टिप्पणी देकर कहा कि अमेरिका के सैद्धांतिक ढांचे से अमेरिका महामारी पर काबू करने में असमर्थ होगा। इस समय राजनीतिक विवाद महामारी रोधी के लिए हितकारी नहीं है।

महामारी के प्रकोप में अमेरिका के आम लोग मुसीबतों में फंसे हुए हैं। देश में मुद्रास्फीति बढ़ती रही, अमीर और गरीब की खाई दिन ब दिन गंभीर होती रही। स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित होने वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की 49वीं बैठक में विभिन्न देशों के प्रतनिधियों ने अमेरिका में पुलिसकर्मियों की हिंसक कार्रवाइयों और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने जैसी मानवाधिकार स्थितियों के प्रति चिंता प्रकट की। संयुक्त राष्ट्र संघ स्थित चीनी स्थायी प्रतिनिधि छन श्वू ने कहा कि जनता का सुखमय जीवन सबसे बड़ा मानवाधिकार है। अमेरिकी राजनेताओं को अपने व्यवहार पर ध्यान से सोच विचार करना चाहिए।

Close
Messenger Pinterest LinkedIn