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क्यों अमेरिका सबसे ज्यादा सैन्य मुठभेड़ों में फंसता है?

cri2022-04-03 16:59:42

दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका विश्व में सबसे ज्यादा सैन्य मुठभेड़ों में फंसने वाला देश बन गया। साल 1945 से 2022 तक अमेरिका ने कम से कम 19 क्षेत्रीय सैन्य कार्रवाइयों या युद्धों में हिस्सा लिया। क्यों अमेरिका बार-बार विश्व के विभिन्न स्थलों के मुठभेड़ों और विवादों में हस्तक्षेप करता रहा है?

यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका के प्रभुत्व के स्थान और शक्ति से तय किया गया है। प्रभुत्व देश वैश्विक बड़ा देश माना जाता है। विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने तुरंत मार्शल कार्यक्रम से युद्ध से भारी क्षति पहुंचाने वाले पश्चिमी यूरोपीय देशों की आर्थिक बहाली को मदद दी। फिर कोरियाई प्रायद्वीप के युद्ध और वियतनाम युद्ध में शामिल होने से अमेरिका ने पूर्वी एशिया में समाजवादी शक्ति को कम किया। अमेरिका की सामरिक संस्कृति भी सैन्यवाद है, चूंकि अमेरिका को विश्वास है कि शक्ति को जाहिर करने का सबसे अच्छा तरीका सैन्य धमकी और सैन्य प्रहार है। अमेरिका का मानना है कि वह लोकतंत्र और स्वतंत्रता का प्रतीक है और उसका विचार अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मूल्य का प्रतिबिंब भी है। अमेरिका ने कई बार अमेरिका और विश्व के मानवाधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा करने के बहाने से विदेशी सैन्य कार्रवाइयों में शामिल किया।

आज अमेरिका ने विश्व में 45 देशों के साथ सैन्य गठबंधन की स्थापना की। ये गठबंधन देश विश्व में अमेरिका के सैन्य अड्डों को बरकरार रखने की गारंटी है, साथ ही अमेरिका द्वारा बलप्रयोग से विवादों को हल करने की शर्त बन गयी है। 2003 में संयुक्त राष्ट्र की अनुमति पाये बगैर अमेरिका ने गठबंधन देशों में स्वयंसेवक यूनियन का गठन कर ईराक के खिलाफ सैन्य प्रहार किया। इस बार रूस-यूक्रेन मुठभेड़ के बाद अमेरिका ने 34 देशों के साथ मिलकर रूस के खिलाफ सख्त पाबंदी लगायी। गठबंधन देशों की सुरक्षा को सुनिश्चित देना भी अमेरिका द्वारा क्षेत्रीय सैन्य मुठभेड़ों में शामिल होने का अहम कारण बन गया है। 1999 के मार्च में अमेरिका ने युगोस्लाव संघ के खिलाफ सैन्य प्रहार किया, जिसका कारण नाटो के गठबंधन देशों की सुरक्षा की रक्षा करना भी है।

शीत युद्ध में विजय पाने से विदेशी हितों की रक्षा की प्रक्रिया में अमेरिका को सैन्य हमले का तरीका अपनाने की आदत है। अमेरिकी की नजर में शत्रुता देशों के खिलाफ चाहे अमेरिका ने कुछ न कुछ कारण से युद्ध नहीं छेड़ा है, तो भी अमेरिका लम्बे अरसे की पाबंदी भी लगाएगा। यह क्षेत्रीय सुरक्षा के तनाव होने का अहम कारण भी है।

यूक्रेन संकट विश्व को चेतावनी दे रहा है कि यदि अमेरिका का एकतरफा प्रभुत्व हमेशा ही अमेरिकी स्टाइल से वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा समस्या का हल करता है, तो भविष्य में विश्व मुठभेड़ और डांवाडोल का भी मुश्किल से कारगर नियंत्रण किया जाएगा।

21वीं शताब्दी में आपसी सम्मान, सहयोग और साझी जीत, शांति और विकास सब देशों का पालन करने का सिद्धांत होना चाहिए। विश्व के बहुध्रुवीकरण को आगे बढ़ाने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कर्तव्य निभाना चाहिए।

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