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डॉक्टर कोटनिस चीन-भारत मित्रता का सूत्र

criPublished: 2022-10-05 16:32:07
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चीन के हपेई प्रांत के शीच्याच्वांग चिकित्सा माध्यमिक विद्यालय में भारतीय डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की कांस्य मूर्ति खड़ी है। चीन में डॉक्टर कोटनिस सर्वविदित थे। जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध के दौरान पाँच भारतीय डॉक्टर सहायता करने के लिए चीन आए। डॉक्टर कोटनिस उनमें से एक थे।

शीच्याच्वांग स्थित उत्तरी चीन सैन्य शहीद कब्रिस्तान में डॉक्टर कोटनिस का सफेद मकबरा खड़ा है। स्वर्गीय लोगों को याद करने के दिन लोग डॉक्टर कोटनिस को याद करने के लिए यहां आते हैं और मकबरे पर फूल अर्पित करते हैं। भारत के पश्चिम बंगाल स्थित डॉक्टर कोटनिस स्मृति समिति के अध्यक्ष एम. गंटेट ने चीन की यात्रा के बाद कहा कि चीनी लोग इन विदेशी दोस्तों को हमेशा याद करते हैं, जिन्होंने विश्व फासिस्ट विरोधी युद्ध में उनकी सहायता की।

डॉक्टर कोटनिस का जन्म 10 अक्तूबर 1910 को महाराष्ट्र के शोलापुर शहर में हुआ था, जो वर्ष 1938 में भारतीय कांग्रेस द्वारा चीन में भेजा गया। इसके एक साल पहले, यानी वर्ष 1937 में जापानी फासीवादियों ने चीन के खिलाफ आक्रमण युद्ध छेड़ा। चीनी सैनिकों और नागरिकों ने विरोध करने के लिए भरसक प्रयास किया। चिकित्सकों और दवाओं की कमी की वजह से बहुत सारे सैनिकों को समय पर इलाज नहीं मिल पाया।

डॉक्टर कोटनिस ने सक्रियता से जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में भाग लिया और घायलों को बचाया। वर्ष 1940 में हुए युद्ध में उन्होंने 800 से अधिक घायलों का इलाज किया और उनमें 558 लोगों की सर्जरी की। चीन में डॉक्टर कोटनिस ने चीनी भाषा सीखी और चीनी भाषा में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने किताबें भी लिखीं और बहुत सारे चीनी चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया।

वर्ष 1941 में डॉक्टर कोटनिस ने चीनी नर्स क्वो छिंगलान के साथ शादी रचाई, फिर दूसरे साल उनके बेटे का जन्म हुआ, जो चीन और भारत के बीच मित्रता का प्रतीक बना। खेद है कि बेटे के जन्म के 107 दिन बाद अधिक काम करके मिरगी पड़ने की वजह से डॉक्टर कोटनिस का निधन हो गया। उनकी उम्र सिर्फ 32 साल थी।

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