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यूएनएचआरसी में चीनी प्रतिनिधि ने कुछ देशों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कानून प्रवर्तन के बारे में चिंता जतायी

criPublished: 2022-10-05 17:58:06
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की 51वीं बैठक में 4 अक्टूबर को नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, ज़ेनोफोबिया और संबंधित असहिष्णुता स्थिति आदि मुद्दों पर सामान्य बहस की गई। इस अवसर पर जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और स्विट्ज़रलैंड स्थित अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में चीनी स्थायी प्रतिनिधि छेन श्यू ने समान विचार वाले देशों की ओर से संयुक्त बयान दिया। संयुक्त बयान में छेन श्यू ने कुछ देशों में कानून लागू करने वाली संस्थाओं द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कानून प्रवर्तन के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है। साथ ही उन्होंने संबंधित देशों से अपने देश में मौजूद गंभीर नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव की समस्याओं का सामना करते हुए, अपने भेदभावपूर्ण संस्थानों, कानूनों, नीतियों और कदमों की व्यापक रूप से समीक्षा करके उसमें बदलाव लाने का आग्रह भी किया है। ताकि “डरबन घोषणा पत्र तथा कार्य योजना” को वास्तविक रूप से कार्यान्वित किया जा सके।

संयुक्त बयान में कहा गया है कि दो साल पहले फ्रायड नाम का अफ्रीकी मूल का पुरुष श्वेत पुलिसकर्मी द्वारा गर्दन पर घुटना दबाने से मर गया। लेकिन अभी भी कुछ देशों में कानून लागू करने वाली संस्थाओं द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कानून प्रवर्तन, हिंसा और यहां तक कि मौत होने की घटना होती रहती है। हम इसके बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करने के साथ पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदना और समर्थन जताते हैं।

संयुक्त बयान में यह भी कहा गया कि कानून लागू करने वाली संस्थाओं की नस्लवाद और हिंसक कार्रवाई इन देशों में दीर्घकालीन, प्रणालीगत और संरचनात्मक नस्लीय और सामाजिक असमानताओं की अभिव्यक्ति है। साथ ही इन देशों में गुलामी और उपनिवेशवाद को लागू करने के इतिहास द्वारा छोड़ा गया मुद्दा भी है। इन देशों में अफ़्रीकी मूल के, एशियाई मूल के और मुसलमान जैसे अल्पसंख्यक जातीय लोगों और समूहों के साथ लंबे समय से भेदभाव किया जाता है और उन्हें हाशिए पर रखा जाता है। उनके अधिकारों का उल्लंघन भी किया जाता है और हमेशा हिंसा के खतरे में रहते हैं। इसके अलावा कोविड-19 महामारी फैलने के बाद संबंधित देशों के राजनीतिज्ञ लगातार जाति और धर्म से संबंधित द्वेषपूर्ण बयान फैलाते हैं, जिससे संबंधित समूहों की कठिनाइयों को बढ़ाया गया है।

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