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बढ़ते तापमान में स्वच्छ ऊर्जा की तत्काल आवश्यकता है

criPublished: 2023-07-03 16:37:41
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इन दिनों उत्तरी गोलार्ध के कई देशों में तापमान बढ़ रहा है, और हमें स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर स्थानांतरित होने की सख्त जरूरत महसूस होने लगी है। गर्मी की लहरों ने एशिया और उत्तरी अमेरिका के क्षेत्रों को झुलसा दिया है, जिससे जलवायु विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि साल 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष हो सकता है।

जिस तरह भारत और चीन सहित कई एशियाई देशों में भीषण गर्मी से मौतें हो रही हैं, उसी तरह की भीषण गर्मी ने टेक्सास, न्यू मैक्सिको और कनाडा के कुछ हिस्सों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। इससे गर्मियों में जंगल की आग भड़क रही है और खतरनाक वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

अन्य चरम मौसम की घटनाओं के साथ-साथ अधिक लगातार और तीव्र गर्मी की लहरों के कारण जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। सभी विशेषज्ञ जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के लिए मजबूत रणनीतियों को लागू करने की आवश्यकता पर बल देते हैं।

स्वच्छ ऊर्जा की तात्कालिकता पहले कभी इतनी अधिक नहीं रही, जितनी अब ज्यादा है। वहीं, भारत और चीन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी देशों ने सतत तरीकों को अपनाने और लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक है। साल 2022 में स्थापित ऊर्जा क्षमता का 40% हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से आया है। भारत ने साल 2030 तक अपनी कुल बिजली का 50% हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से उत्पादन करने के लिए प्रतिबद्ध किया है।

इतना ही नहीं, वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत पवन, सौर और हाइब्रिड परियोजनाओं के लिए 50 गीगावॉट टेंडर (निविदाएं) जारी करने की योजना बना रहा है। भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा से साल 2022 तक 175 गीगावॉट और साल 2030 तक 500 गीगावॉट उत्पादन का लक्ष्य रखा है।

इसी तरह, चीन की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतें नवीकरणीय ऊर्जा, प्राकृतिक गैस और बिजली से पूरी हो रही हैं। चीन के पास 149 गीगावॉट पवन और 77 गीगावॉट सौर ऊर्जा है, जो भारत से कहीं आगे है। हालांकि स्थापित क्षमता के अनुपात में नवीकरणीय ऊर्जा कम है क्योंकि इसका ऊर्जा मिश्रण 1,646 गीगावॉट है, जो भारत की तुलना में पांच गुना अधिक है।

अतः भारत और चीन दोनों तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा बढ़ा रहे हैं और दोनों अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर हैं। लेकिन स्वच्छ ऊर्जा अपनाने में तेजी लाने के लिए वैश्विक सहयोग सबसे ज्यादा जरूरी है। भू-राजनीतिक कारकों को नवीकरणीय ऊर्जा परिवर्तन में बाधा नहीं बनना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

जलवायु वैज्ञानिकों और कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों के बारे में चेतावनी दी है, और हालिया गर्मी की लहर हमें त्वरित कार्रवाई के महत्व की याद दिलाती है।

चूंकि दुनिया चरम मौसम की घटनाओं और उनसे जुड़े प्रभावों से जूझ रही है, तो सरकारों, उद्योगों और लोगों को स्थायी समाधानों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्हें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना होगा और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए प्रतिबद्ध होना होगा। ऐसा करने में विफलता से हमारे ग्रह और उसके निवासियों को विनाशकारी और अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है।

बढ़ती जलवायु चुनौतियों के सामने, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एकजुट होना चाहिए। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करके और सामूहिक रूप से कार्बन तटस्थता की दिशा में काम करके, हम अधिक सतत और लचीले भविष्य के लिए प्रयास कर सकते हैं।

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