यूएन के नंबर 2758 प्रस्ताव में अस्पष्टता नहीं है
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 28 सितंबर को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 79वीं यूएन महासभा की आम बहस में थाईवान मामले के बारे में चीन के रुख पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर वांग यी ने कहा कि थाईवान चीन की प्रादेशिक भूमि का एक अभिन्न भाग है। यह इतिहास ही नहीं, हकीकत भी है। काहिरा घोषणा पत्र और पॉट्सडैम उद्घोषणा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जापान द्वारा चुरायी गयी चीनी भूमि चीन को वापस देने की आवश्यकता है, जिनमें थाईवान और फंगहू द्वीप समूह शामिल हैं। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना।
वांग यी ने कहा कि 53 साल पहले 26वीं यूएन महासभा में भारी बहुमत से नंबर 2758 प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें यूएन में चीन के सभी अधिकार बहाल करने का निर्णय लिया गया। चीन सरकार के प्रतिनिधि को यूएन में चीन के एकमात्र वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी गयी और यूएन व इसके अधीनस्थ सभी संगठनों से थाईवान के प्रतिनिधियों को तुरंत निष्कासित किया गया।
वांग यी ने आगे कहा कि इस प्रस्ताव से यूएन में थाईवान समेत पूरे चीन के प्रतिनिधित्व का मुद्दा पूरी तरह से हल किया गया। यह स्पष्ट है कि कोई "दो चीन" या "एक चीन एक थाईवान" नहीं हैं। इस सैद्धांतिक मामले में कोई अस्पष्टता नहीं है। चीन निश्चित रूप से पूर्ण पुनर्एकीकरण हासिल करेगा। थाईवान निश्चित रूप से मातृभूमि के आलिंगन में वापस आएगा। कोई भी व्यक्ति या बल इस ऐतिहासिक रुझान को नहीं रोक सकता।
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