75 वर्षों में चीन और दुनिया समान नियति साझा करते हैं
हाल ही में, मध्य पूर्व में स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में गहरी चिंता पैदा हो रही है। 2 अक्तूबर को, संयुक्त राष्ट्र स्थित चीनी स्थाई प्रतिनिधि ने मध्य पूर्व में युद्धविराम और युद्ध की समाप्ति के लिए नवीनतम प्रयास करने के लिए "चार अवश्य" का प्रस्ताव रखा, जो कि अंतरराष्ट्रीय संघर्ष वाले गर्म बिंदुओं को हल करने पर चीन की सतत् स्थिति को दर्शाता है: शांति और बातचीत को बढ़ावा देना तथा संकटों के राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देना।
75 साल पहले चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद से, चीन शांतिपूर्ण स्वतंत्र विदेश नीति अपनाता है, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों का पालन करता है, और हमेशा विश्व शांति का निर्माता, वैश्विक विकास में योगदानकर्ता और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक रहा है। यह देश शांतिपूर्ण विकास के आधुनिकीकरण पथ पर चल पड़ा है।
वर्तमान में, भू-राजनीतिक संघर्ष जारी है, वैश्विक विकास घाटा बढ़ रहा है, और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर हमला हो रहा है। हमें किस प्रकार की दुनिया का निर्माण करना चाहिए और हमें इस दुनिया का निर्माण कैसे करना चाहिए? चीन ने मानव जाति के साझा भविष्य वाले समुदाय का निर्माण वाला उत्तर दिया है। ब्राजील की पूर्व राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ का मानना है कि यह अवधारणा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों का विस्तार और संवर्धन है, जो कि विभिन्न देशों को आपसी सम्मान और सामान्य विकास की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।
चीन सदैव विश्व शांति का निर्माता रहा है। अपनी स्थापना के बाद पिछले 75 सालों में, चीन प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय ज्वलंत मुद्दों के समाधान में सक्रिय रूप से भाग लेता है। सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनयिक सम्बंधों की बहाली में मध्यस्थता से लेकर फिलिस्तीन के भीतर ऐतिहासिक सुलह को बढ़ावा देने तक, यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने से लेकर म्यांमार संघर्ष में सम्बंधित पक्षों के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थता करने तक, चीन हमेशा से विश्व शांति के लिए काम करता रहा है। इसके साथ ही, चीन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में सबसे अधिक संख्या में शांति सेना भेजने वाला देश भी है।