चीन और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात हुई
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 18 नवंबर को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ मुलाकात की।
इस मौके पर वांग यी ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले रूस के कज़ान में मुलाकात की। चीन-भारत सम्बंधों का पुनः आरंभ हुआ। यह दोनों देशों के मूल हितों के अनुरूप है, “वैश्विक दक्षिण” देशों की अपेक्षा के अनुरूप है और ऐतिहासिक प्रगति की सही दिशा के अनुरूप भी है। दोनों पक्षों को नेताओं की महत्वपूर्ण सहमति का ठोस कार्यान्वयन कर एक दूसरे के मूल हितों का सम्मान करना चाहिए। वार्ता और संपर्क के ज़रिये आपसी विश्वास मजबूत करने के साथ ईमानदारी से मतभेदों का उचित निपटारा किया जाना चाहिए, ताकि द्विपक्षीय सम्बंध जल्द ही स्थिर और स्वस्थ विकास की पटरी पर लौट सकें।
वांग यी ने कहा कि दो बड़े पड़ोसी विकासशील देश होने के नाते चीन और भारत के साझा हित मतभेदों से कहीं अधिक हैं। दोनों पक्षों को एक दूसरे के विकास को अवसर के रूप में मानना चाहिए और हाथ में हाथ डालकर विकास व पुनरोत्थान करना चाहिए। यह विकासशील देशों के कानूनी हितों की रक्षा करने के लिये ही नहीं, बल्कि विश्व बहुध्रुवीकरण की प्रक्रिया बढ़ाने के लिये भी लाभदायक है। चीन और भारत को अंतर्राष्ट्रीय मामलों में समन्वय मजबूत कर ब्रिक्स व्यवस्था और एससीओ का विकास बढ़ाना चाहिए।
वहीं, जयशंकर ने कहा कि भारत जल्द ही चीन के साथ वार्ता व्यवस्था पुनः शुरू करना चाहता है और संपर्क मजबूत करने से चीन के साथ सम्बंधों के विकास की स्थिति बनाए रखना चाहता है। भारत और चीन के बीच सहमति मतभेदों से कहीं अधिक है। दोनों पक्षों को सक्रिय रवैये से सम्बंधित मुद्दों का उचित समाधान करना चाहिए। अगले साल भारत और चीन के बीच राजनयिक सम्बंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ होगी। भारत इसका फायदा उठाकर चीन के साथ सम्बंधों को बढ़ाना चाहता है। भारत और चीन अंतर्राष्ट्रीय मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे दोनों देशों के बीच सहयोग की निहित शक्ति जाहिर हुई। भारत चीन के साथ जी20 और ब्रिक्स आदि बहुपक्षीय व्यवस्थाओं में समन्वय और सहयोग मज़बूत करने को तैयार है।
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