फिल्म“हिन्दी मीडियम”पर शिक्षा की चर्चा
दूसरा, फिल्म में मां-बाप अपने बच्चों के स्कूल में साइन अप करने के लिये बहुत जल्द सुबह से लंबी कतार में खड़े रहते हैं। यहां तक कि कुछ पिता पहले दिन की रात स्कूल के गेट पर ही सो गए। ऐसे दृश्य चीन में भी होते थे। मां-बाप ने प्रसिद्ध स्कूलों में अपने बच्चों का बायोडाटा भेजने के लिये अपनी पूरी कोशिश की। इसे बारूद के धुएँ के बिना युद्ध कहना एक ख़ामोशी होगी।
लेकिन आज के चीनी माता-पिता इन परेशानियों से दूर हो गये हैं। अनिवार्य शिक्षा चरण में, प्रवेश नीति स्वैच्छिक रिपोर्टिंग और कंप्यूटर आवंटन के संयोजन पर आधारित होती है, और घर के पास नामांकन की नीति लागू की जाती है। साथ ही स्कूल चुनने से संबंधित सभी गतिविधियों को बंद किया जा चुका है। जिससे न सिर्फ़ माता-पिता के वित्तीय बोझ को कम किया गया, बल्कि बच्चों के भारी शैक्षणिक दबाव को भी कम किया गया है।
तीसरा, फिल्म में एक प्रतिष्ठित स्कूल में प्रवेश के लिए, बच्चों को पहले से ही विभिन्न उपचारात्मक कक्षाओं में भाग लेने की आवश्यकता होती है। हालांकि उन पाठ्यक्रमों ने बच्चों का सभी समय ले लिया है, फिर भी पाठ्यक्रम सलाहकार ने कहा कि“आप बहुत देर से शुरू कर रहे हैं।”शिक्षा में आंतरिक प्रतिस्पर्धा का यह वातावरण केवल भारत में ही नहीं, बल्कि कई देशों में देखा जा सकता है।
बच्चों के भारी स्कूली काम के बोझ और उन्नत शिक्षण की घटना को देखते हुए, चीन ने वर्ष 2021 में“दोहरी कटौती नीति” को लागू किया। पहला, अनिवार्य शिक्षा चरण के दौरान अत्यधिक होमवर्क के बोझ को कम करना है। दूसरा, ऑफ-कैंपस प्रशिक्षण के बोझ को कम करना है। इसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना, गृहकार्य व्यवस्था को अनुकूलित करना और स्कूल के बाद की गतिविधियों को रंगारंग बनाना है, जिससे छात्रों के शैक्षणिक बोझ को कम करना, छात्रों की व्यापक गुणवत्ता बढ़ाना और एक अच्छी शैक्षिक पारिस्थितिकी का निर्माण करना प्राप्त है।
चीन में उक्त नीति-नियमों के माध्यम से बच्चे अंकों के दास से स्वतंत्र शिक्षा के स्वामी में बन जाते हैं। उनके पास समाज में एकीकृत होने और अपनी ताकत और क्षमता की खोज करने के लिए अधिक समय होता है। सभी प्रकार की अनुचित प्रतिस्पर्धा के पंजे से मुक्त होकर हमारे बच्चे शिक्षा की एक ही शुरुआती लाइन में खड़े हो सकते हैं।
चंद्रिमा