क्या तथाकथित "मानवाधिकार रक्षक" फिर से अपने विश्वास को धोखा देना चाहते हैं?
अमेरिका ने अपने देश और विदेश में एक के बाद एक मानवाधिकार उल्लंघन किया है। लेकिन वह "मानवाधिकारों" के नाम पर चीन के खिलाफ तथाकथित प्रतिबंध लगाना चाहता है। गौरतलब है कि ब्लिंकन के बयान की पूर्वसंध्या पर चीनी और अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों ने एक बार फिर वीडियो वार्ता की थी। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन को दिए गए उस वचन को दोहराया, यानी कि अमेरिका नया शीत युद्ध नहीं चाहता है, चीन की व्यवस्था को बदलने की कोशिश नहीं करता है, चीन के खिलाफ अपने गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश नहीं करता है, “थाईवान स्वतंत्रता” का समर्थन नहीं करता है, और चीन के खिलाफ़ कोई संघर्ष या टकराव करने का कोई इरादा नहीं है।
वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन-अमेरिका संबंधों में मौजूदा स्थिति का सीधा कारण यह है कि "अमेरिका की ओर से कुछ लोगों ने हम दोनों के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को लागू नहीं किया है, न ही उन्होंने राष्ट्रपति के सकारात्मक रूख को लागू किया है।"
इस बार, ब्लिंकन ने मानवाधिकारों के नाम पर चीन की निंदा की, चीनी अधिकारियों का बेवजह दमन दिया, चीनी और अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों की आम सहमति का उल्लंघन किया और राष्ट्रपति बाइडेन के वादे को नजरअंदाज किया। क्या ऐसा हो सकता है कि वह अपने विश्वास को फिर से धोखा देना चाहते हैं? !