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पुराने नाटो के वापस आने की जरूरत नहीं है

criPublished: 2022-03-26 16:03:34
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नाटो ने 24 मार्च को अपनी वेबसाइट पर नाटो शिखर सम्मेलन में उपस्थित अमेरिका और यूरोपीय देशों के नेताओं का चित्र जारी किया। नेताओं के स्थान और फिल्मांकन कोण से यह सूचना दी जाती है कि पुराना नाटो वापस आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शिखर सम्मेलन के बाद शीघ्र ही घोषणा की कि नाटो पहले की तरह मजबूत और एकजुट है।

क्या यह सच है? और खूबसूरत सजावट से यह छिपाया नहीं जा सकता कि दुनिया में सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन इसकी वैधता साबित नहीं कर सकता और इसके अंतर बड़ा मतभेद मौजूद है। शीतयुद्ध का उत्पाद होने के नाते पुराने नाटो के वापस आने की जरूरत नहीं है।

अमेरिका के लिए नाटो समूह राजनीति करने और प्रभुत्व बनाए रखने का उपकरण है। लेकिन अमेरिका और यूरोप के बीच मतभेद होने की वजह से नाटो के सदस्य देश कदम से कदम मिलाकर नहीं चल सकते।

उदाहरण के लिए, यूक्रेन मामले में हालांकि अमेरिका और यूरोप रूस पर सख्त रवैया अपनाने का विचार रखते हैं, लेकिन अमेरिका और यूरोप के हित काफी अलग हैं। यूरोप शीघ्र ही यूक्रेन संकट का शांतिपूर्ण समाधान करना चाहता है, ताकि ऊर्जा सुरक्षा की गारंटी हो सके। जबकि अमेरिका पश्चिमी दुनिया में नेता की भूमिका निभाते हुए रूस पर प्रतिबंध लगाने में मित्र देशों पर दबाव डालता है। अमेरिका का उद्देश्य अपना प्रभुत्व बनाए रखना है।

जैसा कि कनाडा के युद्ध विरोधी संगठन हैमिल्टन युद्धविराम गठबंधन के जिम्मेदार व्यक्ति केन स्टोन ने कहा कि नाटो अमेरिका के नेतृत्व में आक्रामक सैन्य संगठन है। नाटो के अपने चार्टर के अनुसार इसके रहने का अर्थ खो चुका है।

अमेरिका दुनिया पर हावी नहीं हो सकता। यूरोप यूरोपीय लोगों का है। अब रूस और यूक्रेन के बीच चले मुठभेड़ को एक महीने से ज्यादा हो चुका है। अधिकाधिक लोग विचार कर रहे हैं कि मूलतः यूक्रेन संकट होने का कारण क्या है। आज मुठभेड़ का आरंभ करने वाला देश यूक्रेन संकट का शांतिपूर्ण समाधान करना नहीं चाहते, इसके बदले दूसरों को अपने फायदे के लिए खून बहाने देता है। क्या इस तरह का अमेरिका विश्वसनीय है?

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