अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक परिसर को युद्ध छिड़ने से खूब पैसे मिले
रूस व यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष शुरू होने के बाद न सिर्फ़ दोनों देशों के सैनिक व आम नागरिक हताहत हुए हैं, बल्कि लाखों यूक्रेनी लोग शरणार्थी बन गये हैं। लेकिन इस संघर्ष का रचयिता अमेरिका निरंतर रूप से संघर्ष को और गंभीर बनाने की कोशिश कर रहा है। क्योंकि इसके पीछे अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक परिसर का लाभ छिपा हुआ है। यह परिसर अमेरिका की सेना, उद्योग, सरकार व संसद द्वारा घनिष्ठ सहयोग से थिंक-टैंक व मीडिया के साथ बनाया गया एक आपसी हित वाला समूह है। यह समूह विश्व के दायरे में “दुश्मन” बनाकर अन्य देशों के बीच संघर्ष पैदा करता है, और युद्ध से पैसे कमाता है। इस बार का रूस-यूक्रेन संघर्ष उनका ताज़ा शिकार है।
रूस-यूक्रेन सैन्य संघर्ष से अमेरिका के रणनीतिक जगत में हथियारों के विस्तार और "अमेरिकी शांति" को पुनर्जीवित करने की आवाजें फिर से उठ रही हैं। वे अमेरिका की बेहद-मजबूत सैन्य शक्ति, आर्थिक ताकत और डॉलर के आधिपत्य के माध्यम से अन्य देशों पर दबाव डालना चाहते हैं, और अमेरिका के शासन में शांति प्राप्त करना चाहते हैं।
अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक परिसर की नज़र में केवल उनके हित हैं। यहां तक कि उन्हें आशा है कि रूस व यूक्रेन के बीच यह संघर्ष दस साल तक चलेगा। और यूक्रेनी सेना व विदेशी भाड़े के सैनिक पश्चिम के सैन्य व आर्थिक समर्थन के साथ एक लंबे समय के युद्ध के माध्यम से रूस को नष्ट कर सकेंगे। लेकिन उन्हें यूक्रेनी लोगों के हताहत होने और सुविधाओं के विनाश की परवाह नहीं है।
चंद्रिमा