अमेरिका को शीत युद्ध की विचारधारा छोड़ देनी चाहिए
अमेरिका हमेशा से शीत युद्ध की विचारधारा को अपनाता रहा है। वह विश्व में डांवाडोल पैदा करने का सबसे प्रमुख कारण है। यूक्रेन संकट पैदा होने के बाद अमेरिका के नेतृत्व में नाटो ने तथाकथित शांति, व्यवस्था और नैतिकता के रक्षक के रूप में पाबंदी लगाने से दूसरे देशों को धमकी दी। नाटो ने सामूहिक सुरक्षा की मोर्चा को निरंतर रूस-यूक्रेन सीमा में बढ़ाया, जिससे रूस के साथ मुठभेड़ को हल करने के द्वार को सीधा बंद किया है।
अमेरिकी वाशिंगटन पोस्ट के एक लेख में लिखा गया है, “लोग शांति चाहते हैं, क्यों हमारे नेता हमेशा हमें युद्ध की स्थिति में छोड़ देते हैं?” अमेरिका सदैव शांति कहता है, लेकिन वास्तव में युद्ध चुनता है। अमेरिका का इतिहास युद्ध का इतिहास माना जाता है, यह सर्वमान्य तथ्य है। विश्व शांति और स्थिरता की रक्षा करना अमेरिका की रणनीति की प्राथमिकता नहीं है। अमेरिका सिर्फ इस पर ध्यान देता है कि अंतर्राष्ट्रीय ढांचे में, खास तौर पर बड़े देशों की प्रतिस्पर्द्धा में अपने नेतृत्व स्थान की रक्षा करना।
विश्व 21वीं शताब्दी में प्रवेश करहो चुका है, लेकिन अमेरिका में कई राजनेता अभी तक पहले के विचार में फंसते हैं और शीत युद्ध की विचारधारा को अपनाते हैं। अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बर्बाद करने की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है, जिसे शांति के रक्षक बनने का अधिकार नहीं है।