ध्यान से देखो! वे विपत्ति की जड़ बनाने वाले विष निर्माता हैं
रूस-यूक्रेन संघर्ष फैलने के बाद से दोनों पक्षों के बीच युद्ध की स्थिति के अलावा, यूक्रेन में अमेरिका द्वारा स्थापित जैविक प्रयोगशाला भी सभी पक्षों के ध्यान का केंद्र बन गई है। गत मार्च के मध्य में रूसी रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेनी जैविक प्रयोगशाला कर्मियों से प्राप्त दस्तावेजों को सार्वजनिक किया, जिसमें यूक्रेन में अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों द्वारा किए गए जैविक हथियारों के अनुसंधान का खुलासा किया गया था। इन अध्ययनों में मनुष्यों में मृत्यु दर 50 प्रतिशत तक होने वाले अत्यधिक रोगजनक बर्ड फ्लू एच5एन1 और न्यूकैसल वायरस शामिल हैं।
वास्तव में यूक्रेन में अमेरिकी जैविक प्रयोगशाला दुनिया भर में अमेरिका के बायोलैब के नेटवर्क का एक छोटा-सा भाग है। अमेरिका खुद द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में वह 30 देशों में 336 जैविक प्रयोगशालाओं का नियंत्रण करता है। ये प्रयोगशालाएं तथाकथित "सहकारी जैविक वचनबंध गतिविधि" के भाग हैं, जो सीधे तौर पर पेंटागन द्वारा वित्त पोषित और नियंत्रित होती हैं, और ज्यादातर स्वतंत्र राज्यों, मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में स्थित हैं।
एक तरफ अमेरिका दूसरे देशों के साथ सहयोग कर जबरन "जैविक विष" फैलाता है, दूसरी ओर इस विचारधारा का निर्यात कर आपदाएं पैदा करता है। अमेरिकी राजनयिक विलियम ब्लम ने अपनी पुस्तक "लोकतंत्र, अमेरिकी विदेश नीति का सच, और बाकी सब कुछ" में बताया कि अमेरिका का विदेशी विस्तार "लोकतंत्र के निर्यात" से निकटता से संबंधित है। लंबे समय से, "लोकतंत्र निर्यात" अमेरिकी विदेश नीति का "अनन्य संकेत" बन गया है।
वहीं, अमेरिकी विद्वान लिंडसे ओ'रूर्के ने अपनी पुस्तक "गुप्त शासन परिवर्तन: अमेरिका का गुप्त शीत युद्ध" में बताया कि शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने 64 गुप्त और 6 खुले शासन-परिवर्तन अभियान चलाए हैं। कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, इक्वाडोर, बोलीविया, होंडुरास, पनामा, हैती, वेनेजुएला इत्यादि, अमेरिका के कुछ लातिन अमेरिकी पड़ोसी "अमेरिका के काले हाथ" से नहीं बच सकते।
अमेरिका ने लीबिया और सीरिया में हुए गृहयुद्ध में हस्तक्षेप किया, जिससे मध्य पूर्व में भारी आपदाएँ पैदा हुईं। अमेरिकी ब्राउन यूनिवर्सिटी द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, "11 सितंबर" की घटना के बाद से अमेरिका ने दुनिया भर के 85 देशों में तथाकथित आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप इन देशों में 3.63 लाख से 3.87 लाख नागरिकों की मौत हुई है, और 3.8 करोड़ से अधिक लोग शरणार्थी और बेघर हुए।
अब हम यूक्रेन को देखें, यूक्रेन और बेलारूस सहित 12 यूरेशियाई देशों की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, साल 1992 में यूक्रेन की जीडीपी इन देशों में दूसरे स्थान पर रही। लेकिन 2018 तक, आंकड़ों से पता चला कि यूक्रेन यूरोप का सबसे गरीब देश बन गया था।
अमेरिका के पास गहरी युद्धात्मक विचारधारा है। विष निर्माता के रूप में वह विकासशील देशों के सामूहिक उदय के कारण रणनीतिक चिंता महसूस करता है, तो वह अन्य देशों के लोगों के उथल-पुथल, रक्तपात और पीड़ा पर अपने संकीर्ण आधिपत्य हितों को आधार देता है।