क्या "अमेरिकी लोकतंत्र" सच में लोकतंत्र है?
"अमेरिका सबसे अमीर लोगों द्वारा नियंत्रित वाला देश है, जबकि लोकतंत्र देश नहीं है।" सिंगापुर के विद्वान किशोर मेहबुबानी ने हाल में साक्षात्कार यह टिप्पणी की। वास्तव में अमेरिका में "लोकतंत्र" अमीरों की सेवा करता है, पैसे सत्ता का कब्जा करता है। यह पहले ही रहस्य नहीं रहा।
तथ्यों से साबित है कि पैसे अमेरिकी राजनीति की मात है, जो चुनाव, संविधान और प्रशासन के सभी चरणों में शामिल है। अमेरिकी कांग्रेस में 91 प्रतिशत के चुनाव में सबसे ज्यादा पैसे पाने वाले उम्मीदवार जीतते हैं। अमेरिकी शैली वाला लोकतंत्र पूंजी के आधार पर "अमीरों का खेल" है। अमेरिका में सत्ता इन गिने-चुने अमीरों के पास रहती है, अनगिनत आम लोगों की अपील और हितों को नजरअंदाज किया गया है।
2020 में 163 देशों पर जारी की गयी एक रिपोर्ट से जाहिर है कि इधर के दस वर्षों में सामाजिक विकास सूचकांक में केवल अमेरिका आदि तीन देशों में गिरावट आयी, जबकि अमेरिका में यह गिरावट सब से अधिक है। अमेरिका में मध्यम वर्ग वाले समूहों की स्थिति भी दिन ब दिन खराब होने लगी है। पिछले 20 वर्षों में अमेरिकी परिवार की संपत्ति में वृद्धि नहीं हुई है।
सौ वर्षों पहले अमेरिकी सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीश ब्राउनिस ने कहा था, "इस देश में या तो लोकतंत्र उपलब्ध है, या कुछेक धनी लोगों के हाथों में है। दोनों में केवल एक होना चाहिए।" जब पैसा राजनीति का एक "कैंसर" बन जाती है जो अमेरिकी समाज में उन्मूलन करना मुश्किल है, तो अमेरिका में तथाकथित "लोकतंत्र शिखर सम्मेलन" का आयोजन एक बड़ा हास्य व्यंग्य बन जाता है।