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दुनिया के साथ तकनीकी व वैज्ञानिक संबंध मजबूत करेगा चीन

criPublished: 2021-12-12 16:56:05
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चीन ने पिछले कुछ दशकों में इतना तेज विकास किया है कि दुनिया भर में इसकी चर्चा होती है। आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक हर क्षेत्र में चीन ने प्रगति हासिल की है। तकनीकी व वैज्ञानिक सेक्टर में चीन ने इतनी कामयाबी प्राप्त की है कि अमेरिका जैसे देश चीन से घबराने लगे हैं। हालांकि चीन बार-बार कहता रहा है कि वह विश्व के विभिन्न देशों के साथ अपनी तरक्की का लाभ साझा करना चाहता है।

इस संबंध में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा शनिवार को दिये गये वक्तव्य पर ध्यान देने की जरूरत है। जिसमें उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि चीन दुनिया के साथ वैज्ञानिक और तकनीकी संबंधों को मजबूत करने के लिए तैयार है।

क्वांगतोंग प्रांत के क्वांगचो में हुए ग्रेटर बे साइंस फोरम को चीनी राष्ट्रपति ने जो संदेश भेजा, वह एक तरह से दुनिया को दिया गया संदेश था। जिसमें उन्होंने

विश्व भर के तमाम वैज्ञानिकों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ वैज्ञानिक और तकनीकी आदान-प्रदान और सहयोग मजबूत करने की इच्छा जताई। शी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वैश्विक वैज्ञानिक प्रगति का संयुक्त रूप से प्रसार करने से समूची मानव जाति को लाभ मिलेगा। वैसे इससे पूर्व में भी अन्य चीनी नेता वैज्ञानिकों से मिलकर काम करने का आह्वान कर चुके हैं।

जैसा कि हम जानते हैं कि पिछले लगभग दो वर्षों से कोरोना महामारी ने पूरे विश्व की जनता को परेशान कर रखा है। इसका व्यापक प्रभाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। इस महामारी को भी वैज्ञानिक सोच व तरीके अपनाकर ही नियंत्रित किया जा सकता है। शुरू से ही चीन ने इस रणनीति के तहत काम किया, जिसके कारण यहां कोविड-19 का असर अन्य देशों के मुकाबले कम देखने को मिला।

चीन के सर्वोच्च नेता शी के बयान का जिक्र करें, जिसमें उन्होंने कहा कि विश्व एक सदी में अनिश्चितता व गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है। ऐसे में इनोवेटिव टैक्नोलॉजी की जरूरत बढ़ गयी है, जो हमें दिखाई भी दे रहा है।

यह कहना होगा कि आज के इस युग में विज्ञान व तकनीक हर क्षेत्र में गहराई से अपनी जगह बना रही है। ऐसे में कोई भी देश खुद को इससे ज्यादा समय तक दूर नहीं रख सकता है। क्योंकि ये आम लोगों की रोजमर्रा की ज़िंदगी को बदलने में अहम भूमिका निभा रही है। विशेषज्ञ कहते हैं कि चीन ने जिस तरह से क्वांगतोंग-हांगकांग-मकाओ ग्रेटर बे एरिया पर ध्यान केंद्रित किया है, वह दुनिया के वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने का काम करेगा। क्योंकि इस पूरे क्षेत्र को तकनीकी व नवाचार संबंधी केंद्र बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। इससे न केवल चीन को लाभ होगा, बल्कि अन्य देशों पर भी इसका असर पड़ेगा।

ऐसे में दुनिया के वैज्ञानिकों को मिल-जुलकर तकनीकी प्रगति व विश्व शांति के लिए काम करने की आवश्यकता है।

अनिल पांडेय

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