बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण से वैश्विक स्तर पर चीन को मिला फायदा
हाल के वर्षों में चीन में बौद्धिक संपदा अधिकार(आईपीआर) के संरक्षण पर व्यापक ध्यान दिया गया है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। जिससे बौद्धिक संपदा पर काम करने वाले पक्षों को उचित ढंग से आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। चीन के मुताबिक प्रतिस्पर्धा के माहौल के बीच उसके आईपी रॉयल्टी के निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है। जो इस साल की पहली तीन तिमाहियों में 44 अरब डॉलर से ज्यादा रहा। बताया जाता है कि इसमें साल दर साल 27 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है। इससे जाहिर है कि चीन इस सेक्टर में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।
यहां बता दें कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रति विशेष ध्यान दिया है। वहीं बौद्धिक संपदा अधिकार को लेकर चीन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भी जोर दे रहा है। इसका मकसद विदेशों में मौजूद चीनी कंपनियों के हितों की रक्षा करना है।
गौरतलब है कि जुलाई 2019 में चीनी राज्य परिषद की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें आईपीआर के संरक्षण को लेकर अहम कदम उठाने का फैसला लिया गया। उक्त बैठक में कहा गया कि चीन मुख्य तौर पर कई क्षेत्रों में बौद्धिक संपदा अधिकार का संरक्षण करेगा। इसके तहत बाजार में सभी इकाइयों के साथ एक समान व्यवहार किया जाएगा। जबकि बौद्धिक संपदा अधिकार का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा जारी होने वाले ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भी चीन की रैंकिंग में सुधार देखा गया है। इस साल चीन इस सूची में 12वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले वर्ष 14वें नंबर पर था। उल्लेखनीय है कि चीन दुनिया की मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में पहले स्थान पर है।
चीन में बौद्धिक संपदा संगठन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी लेइ श्याओयुन ने चीन की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चीन वर्ष 2012 के बाद से रैंकिंग में 23 पायदान ऊपर आ चुका है। यह इस बात का द्योतक है कि चीन ने हाल के दशकों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा में निवेश व नवाचार को काफी बढ़ावा दिया है। जो चीन को वैश्विक स्तर पर एक आधुनिक और प्रभावी आईपी प्रणाली वाले राष्ट्र के तौर पर खड़ा करता है।
इसके साथ ही चीन ने अपने यहां बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में उचित नियम व कानून व्यवस्था लागू है। इस संबंध में जनवरी 2019 में चीनी बौद्धिक संपदा अधिकार अदालत की स्थापना हुई। जो कि बौद्धिक संपदा अधिकार के कानूनी संरक्षण को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम माना जाता है।
अनिल पांडेय