इन आँकड़ों के समक्ष अमेरिकी स्टाइल वाला लोकतंत्र कैसे जवाब देगा
स्थानीय समयानुसार 13 दिसंबर तक अमेरिका में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 5 करोड़ से अधिक हो गयी है और इस महामारी में मृतकों की संख्या लगभग 8 लाख पहुँच चुकी है ।दोनों आंकड़े विश्व में सर्वाधिक हैं ।इन दो आँकड़ों के समक्ष पता नहीं कि अमेरिकी स्टाइल वाला लोकतंत्र कैसे जवाब देगा ।
5 करोड़ का मतलब है कि अमेरिका में पुष्ट कोरोना के मामलों की संख्या समग्र विश्व में कोरोना के मामलों का 20 प्रतिशत है ,जबकि 8 लख का मतलब है कि इस महामारी में मारे गये अमेरिकियों की संख्या प्रथम विश्व युद्ध , द्वितीय विश्व युद्ध ,कोरिया युद्ध ,वियतनाम युद्ध ,इराक युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध में मारे गये कुल अमेरिकी सैनिकों की संख्या से भी अधिक है ।
कोरोना के मुकाबले में अमेरिकी किस्म वाला लोकतंत्र पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है ।संघीय सरकार और राज्य सरकारों के बीच कोई तालमेल नहीं है ।दो मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने अपने हितों के लिए महामारी से लड़ाई का राजनीतिकरण किया।टीका ,मास्क ,सामाजिक दूरी सब राजनीतिक मुद्दा बन गये ।
कोरोना महामारी से अमेरिकी राजनीति ,अर्थव्यवस्था और समाज में मौजूद विभिन्न मतभेद उजागर हुए ,जिसने अमेरिकी लोकतंत्र व्यवस्था की कमजोरी का पर्दाफाश किया ।अमेरिका में कीमती चिकित्सा व स्वास्थ्य तंत्र सिर्फ अमीर लोगों के लिए है ।बड़ी संख्या में गरीब लोग सामाजिक गांरटी तंत्र से वंचित किये गये हैं ।कहा जा सकता है कि अमेरिकी किस्म वाले लोकतंत्र की खामियों से अमेरिका को महामारी के मुकाबले में करारी हार मिली ।