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पश्चिम द्वारा अफ्रीका में एक्सपायर्ड वैक्सीन भेजना वास्तव में खुद के लिए नुकसानदेह

criPublished: 2021-12-28 19:21:27
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"यह वैक्सीन राष्ट्रवाद है। विकसित देशों ने टीके बनाने में महारत हासिल की और फिर उन्हें जमा कर दिया है। हमें तब तक टीके नहीं दिए गए, जब तक वे एक्सपायर्ड होने वाले थे, उनमें से कुछ केवल दो सप्ताह में एक्सपायर्ड हो जाएंगे।" नाइजीरियाई राष्ट्रीय प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल विकास ब्यूरो के निदेशक फैसल शुएब ने हाल ही में क्रोधित होकर यह बात कही।

इस वर्ष अक्तूबर में नाइजीरिया को यूरोप से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 25 लाख से अधिक खुराकें मिलीं, लेकिन उनमें से आधे से ज्यादा नवंबर में एक्सपायर्ड होने वाली हैं। टीकों की सुरक्षा के बारे में नागरिकों की चिंताओं को दूर करने के लिए नाइजीरिया सरकार को पिछले सप्ताह इन एक्सपायर्ड टीकों को नष्ट करना पड़ा।

अफ्रीका में सबसे अधिक आबादी वाले देश के लिए यह स्पष्ट रूप से एक कठिन निर्णय था। वर्तमान में नाइजीरिया में पुष्ट मामलों की संचयी संख्या 2.3 लाख से अधिक है। देश में नागरिकों की पहली खुराक टीकाकरण दर केवल 6 प्रतिशत है। अधिक वैक्सीन आपूर्ति के लिए उनकी उत्सुकता की कल्पना की जा सकती है।

अफ्रीका में हुआ यह कोई पहला मामला नहीं है कि नाइजीरिया को पश्चिम से एक्सपायर्ड टीके मिले हैं। इस साल जुलाई की शुरुआत में, डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों से पता चला कि अफ्रीका के 8 देश एक्सपायर्ड टीकों की समस्या का सामना कर रहे हैं। मलावी और दक्षिण सूडान जैसे देशों को हजारों टीकों को नष्ट करना और त्यागना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कुछ दिन पहले एक साक्षात्कार में कहा था कि इस साल के अंत तक केवल पांच अफ्रीकी देश 40 प्रतिशत आबादी को टीके लगाने का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। अफ्रीकी देशों को पर्याप्त उपलब्ध टीके प्राप्त करने में मदद करना महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

अफ्रीकी देशों को एक्सपायर्ड टीकों को नष्ट करना पड़ा, जो पश्चिमी "वैक्सीन राष्ट्रवाद" को दर्शाता है। उदाहरण के रूप में अमेरिका को लें, अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के डेटा से पता चलता है कि इस वर्ष मार्च से सितंबर तक, देश में कम से कम 1.51 करोड़ खुराकों को बर्बाद कर दिया गया। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, देश में बर्बाद टीकों की संख्या कई विकासशील देशों में टीकाकरण की संख्या से कहीं अधिक है।

महामारी के खिलाफ दुनिया की मौजूदा लड़ाई में "वैक्सीन गैप" सबसे बड़ी बाधा है। कम आय वाले देशों की मदद करना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, खास कर बड़े देशों की अहम जिम्मेदारी है। इसी संबंध में, चीन हमेशा टीकों को वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद के रूप में मानता है, और इसकी विदेशी सहायता के बारे में चीन ने क्या वचन दिया है, उसका पालन करता है।

नवंबर के अंत तक, चीन ने अफ्रीका में करीब 18 करोड़ खुराकें प्रदान कीं, लगभग सभी अफ्रीकी देश इसमें शामिल हैं। इसके साथ ही चीन में विकसित निष्क्रिय टीकों की शेल्फ लाइफ आम तौर पर 2 से 3 वर्ष है, और इनका परिवहन व भंडारण भी आसानी से किया जा सकता है, जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों की जरूरतों के लिए बहुत उपयुक्त है।

अफ्रीका को वास्तविक सहायता की आवश्यकता है, न कि एक्सपायर्ड टीकों का नकली दान। पश्चिमी देशों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अफ्रीका को चीन की तरह ही अच्छी गुणवत्ता और पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध कराने चाहिए, और दुनिया के लिए एक प्रतिरक्षा बाधा बनाने का प्रयास करना चाहिए।

आज के वैश्वीकरण के दौर में, जब तक प्रत्येक देश महामारी को खत्म न कर दे, दुनिया सुरक्षा नहीं होगी। ऐसे में पश्चिमी देश अगर अफ्रीका की मदद करते हैं, तो वे वास्तव में अपनी मदद कर रहे हैं।

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