आरसीईपी से वैश्विक सुधार व बहुपक्षवाद को मिलेगा बढ़ावा
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता यानी आरसीईपी लागू हो चुका है, इसको लेकर विभिन्न देशों में उत्साह देखने को मिल रहा है। जानकार कहते हैं कि इससे क्षेत्रीय औद्योगिक व आपूर्ति श्रृंखला में अधिक लचीलापन आएगा। साथ ही वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुधार को प्रोत्साहन और बहुपक्षवाद को बढ़ावा मिलेगा।
इसके साथ ही कहा जा रहा है कि आरसीईपी से न केवल आर्थिक एकीकरण में तेजी आएगी बल्कि दुनिया के आर्थिक सुधार में और अधिक इजाफा होगा। इसके अलावा इस नए समझौते से बहुपक्षवाद और मुक्त व्यापार को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
जाहिर है कि दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार समझौता वैश्विक आबादी और घरेलू सकल उत्पाद के एक तिहाई हिस्से को कवर करता है और क्षेत्रीय औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक लचीलापन भी ला रहा है। उम्मीद की जा रही है कि यह एक एकीकृत क्षेत्रीय बाजार क्षेत्र में व्यापारिक माहौल के विकास की व्यापक क्षमता को मजबूत करेगा। इतना ही नहीं यह समझौता उच्च गुणवत्ता और गहरे स्तर पर क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देगा। वहीं वैश्विक आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की उपस्थिति को व्यापक रूप से मजबूत करेगा।
इसके साथ ही समझौता लागू होने वाले क्षेत्र के भीतर कारोबार में लगभग 90 फीसदी वस्तुओं पर टैरिफ अंततः खत्म हो जाएगा और व्यापार लागत और उत्पादों की कीमतों में बहुत कमी आएगी।
गौरतलब है कि गौरतलब है कि मुक्त व्यापार समझौते पर नवंबर 2020 में एशिया-प्रशांत देशों सहित आसियान के 10 सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए थे। जबकि आरसीईपी कुछ सप्ताह पहले 1 जनवरी को औपचारिक तौर पर लागू हुआ था। चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड सहित कई देशों ने इस समझौते की विभिन्न प्रक्रियाओं पर काम करना शुरु कर दिया है।
बताया जाता है कि आरसीईपी में टैरिफ रियायतों के कार्यान्वयन के बाद, चीन और आसियान, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड के बीच तत्काल शून्य टैरिफ दर 65 फीसदी से अधिक रहेगी। इतना ही नहीं चीन और जापान के बीच नये मुक्त व्यापार संबंध स्थापित हुए हैं, जिससे पारस्परिक तत्काल शून्य टैरिफ दर 25 प्रतिशत और 57 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
ध्यान रहे कि आरसीईपी दुनिया की आबादी, वैश्विक अर्थव्यवस्था व विदेशी व्यापार के क्रमशः 30 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है। ऐसे में माना जा रहा है कि आरसीईपी के सही ढंग से लागू होने से विश्व के आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी।
अनिल पांडेय