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उम्मीद है कि अमेरिका दुनिया को अपनी ईमानदारी दिखाएगा

criPublished: 2022-03-19 17:42:38
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“चीन और अमेरिका को द्विपक्षीय संबंधों को सही रास्ते की ओर आगे विकसित करने का नेतृत्व करना चाहिए, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय कर्त्तव्य भी निभाना चाहिए, ताकि विश्व की शांति की रक्षा के लिए प्रयास कर सकें।” 18 मार्च की रात को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ फोन वार्ता में यह बात कही।

यह गत नवम्बर में वार्ता के बाद दोनों के बीच फिर एक बार वीडियो वार्ता हुई। चार महीनों के बाद अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में भारी परिवर्तन आया है। अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो की प्रेरणा से रूस-यूक्रेन संघर्ष कदम ब कदम तीव्र होकर अंततः सैन्य मुठभेड़ में बदला। यूक्रेन संकट का रचक होने के नाते अमेरिका ने खुद की जिम्मेदारी को नजरअंदाज कर चीन को बदनाम करने की झूठी खबरें फैलने की कुचेष्टा की। चीन-अमेरिका संबंध और बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिससे विश्व शांति के लिए अस्थिरता भी जोड़ी गयी है। इस अहम वक्त पर चीन और अमेरिका के राजनेताओं ने फिर एक बार वीडियो वार्ता की और समान दिलचस्पी वाले सवालों पर गहन रूप से विचार विमर्श किया। यह दोनों देशों और विश्व के लिए अति महत्वपूर्ण है।

वार्ता में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने फिर एक बार चीन के साथ चार वादे किए, जिसके प्रति चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बड़ा ध्यान दिया। शी ने कहा कि चीन-अमेरिका संबंध आज इस स्थिति में इसलिए पहुंचे हैं, क्योंकि अमेरिका में कई लोगों ने राष्ट्रपति बाइडेन के सक्रिय रवैये का कार्यान्वयन नहीं किया और अमेरिकी पक्ष ने चीन के सामरिक इरादे का गलत आकलन किया है।

चीन-अमेरिका संबंधों में सब से जटिल और संवेदनशील सवाल है थाईवान सवाल। अमेरिका सरकार ने कई बार एक चीन की नीति पर कायम रहने का वचन दिया, लेकिन उसकी हरकत ने इस का उल्लंघन किया है। शी ने फिर एक बार थाईवान सवाल पर चीन का गंभीर रुख बताया और स्पष्ट चेतावनी भी दी। अमेरिका पक्ष को थाईवान मुद्दे को महत्व देकर सावधानी से कार्रवाइयां करनी चाहिए।

वार्ता में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने फिर एक बार अंतर्राष्ट्रीय कर्तव्य की चर्चा की। उन्होंने जोर दिया कि बड़े देश के नेता होने के नाते दोनों नेताओं को वैश्विक गर्म समस्याओं का हल करने पर ख्याल करने के अलावा वैश्विक स्थिरता और अरबों लोगों के उत्पादन और जीवन पर भी ध्यान देना होता है। चीन ने यूक्रेन संकट के समाधान करने के लिए समग्र प्रस्ताव पेश किया, जिसमें सैद्धांतिक रुख और ठोस तरीके शामिल हैं।

शी ने कहा कि समस्या को हल करने के लिए समस्या की रचना करने वालों को मेहनत की जरूरत है। अमेरिका ने वार्ता में कहा कि यूक्रेन संकट के और तीव्र होने से बचाने के लिए चीन से संपर्क करेगा। जो कहता है वहीं करना चाहिए। अगर अमेरिका एक तरफ चीन से सहयोग करने को ढूंढना चाहता है, दूसरी तरफ चीन को बदनाम करता रहा, इससे काम नहीं चलेगा।

गौरतलब है कि इस बार की वीडियो वार्ता चीन और अमेरिका के बीच शांगहाई विज्ञप्ति के जारी होने की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित हुई। 50 साल पहले चीन और अमेरिका के नेताओं ने समझा कि हालांकि दोनों के बीच मतभेद हैं, फिर भी समान हितों के आधार पर सहयोग कर सकते हैं। यही शांगहाई विज्ञप्ति की अहम भावना है और 50 साल के बाद यह भावना अभी भी कारगर है।

एक स्थिर चीन-अमेरिका संबंध दोनों के लिए लाभदायक हैं। आशा है कि अमेरिका अपने वचन का पालन कर व्यावहारिक कार्रवाइयों से राष्ट्रपति बाइडेन के राजनीतिक वादे को साकार करने की कोशिश करेगा। अमेरिका को फिर एक बार चीन और दुनिया को निराशा नहीं देनी चाहिए।

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