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अमेरिकी ब्रांड वाला “युद्ध का इंजन” रुकना चाहिए

criPublished: 2022-03-31 14:25:03
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29 मार्च को रूस और यूक्रेन के पांचवें दौर की वार्ता तुर्की में संपन्न हुई। संबंधित रिपोर्ट के मुताबिक इस वार्ता में यूक्रेन की स्थायी तटस्थता, सैन्य गठबंधन में भाग लेने का विचार छोड़ने , रूस द्वारा यूक्रेन के यूरोपीय संघ में शामिल होने का विरोध न करने और यूक्रेन मुठभेड़ में शैथिल्य लाने के लिए कदम उठाने जैसी कई अहम उपलब्धियां हासिल हुई हैं। साथ ही दोनों देशों के शीर्ष नेता भेंटवार्ता भी करेंगे । इससे रूस और यूक्रेन द्वारा मुठभेड़ को समाप्त करने की इच्छा ज़ाहिर हुई है, साथ ही इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा शांति वार्ता को प्रेरित करने के प्रयास से अलग नहीं किया जा सकता है। एक से ज्यादा समय की सैन्य मुठभेड़ के बाद दोनों को भारी नुकसान पहुंचा है। अब राजनीतिक समाधान के रास्ते में वापस लौटने की आवश्यक्ता है।

कई अहम उपलब्धियां हासिल हुई हैं। साथ ही दोनों देशों के शीर्ष नेता भेंटवार्ता भी करेंगे । इससे रूस और यूक्रेन द्वारा मुठभेड़ को समाप्त करने की इच्छा ज़ाहिर हुई है, साथ ही इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा शांति वार्ता को प्रेरित करने के प्रयास से अलग नहीं किया जा सकता है। एक से ज्यादा समय की सैन्य मुठभेड़ के बाद दोनों को भारी नुकसान पहुंचा है। अब राजनीतिक समाधान के रास्ते में वापस लौटने की आवश्यक्ता है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यह देखना चाहता है कि रूस-यूक्रेन स्थिति में सुधार हो सकता है। लेकिन यूक्रेन संकट के रचियता अमेरिका ने इस पर सक्रिय प्रतिक्रिया नहीं दी, यहां तक कि स्वागत भी नहीं किया। चाहे रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौता संपन्न हो भी जाय , तो भी अमेरिका रूस को निरंतर परेशान करता रहेगा।

अमेरिका रूस के खिलाफ पाबंदी लगाने के साथ यूक्रेन को हथियार देता रहा। रूस-यूक्रेन शांति वार्ता में प्रगति के समय भी अमेरिका यूक्रेन को हथियार भेजता रहा। अमेरिका इस मुठभेड़ से सबसे ज़्यादा लाभ हासिल करना चाहता है, इसलिए अमेरिका रूस-यूक्रेन शांति को साकार होते नहीं देखना चाहता। वह चाहता है कि मुठभेड़ जारी रहे, ताकि वह अपने प्रतिद्वंद्वी रूस को काबू कर यूरोप के नियंत्रण को मजबूत कर सके। अमेरिका के लिए प्रभुत्व सबसे बड़ी प्रेरणा शक्ति है, जिसके लिए वह यूरोपीय देशों समेत दूसरे देशों के हितों को न्योछावर कर सकता है।

रूस और यूक्रेन द्वारा जारी बयान के मुताबिक आगे वे दोनों यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी और रूस की प्रादेशिक भूमि पर वार्ता करेंगे। इस अहम वक्त पर सभी जिम्मेदार देशों को वार्ता के लिए लाभदायक बातें करनी चाहिए, बाधा नहीं पैदा करनी चाहिए।

रूस-यूक्रेन मुठभेड़ से फिर एक बार यह जाहिर हुआ है कि अमेरिका ही विश्व की शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी धमकी है, जो अंत में उसे जरूर सज़ा मिलेगी ।

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