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रूस-यूक्रेन संकट पर अमेरिकी मीडिया का प्रभुत्व

criPublished: 2022-04-09 17:05:35
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हाल में अमेरिका स्थित चीनी राजदूत छिन कांग ने अमेरिकी कोलंबिया प्रसारण निगम के आमंत्रण पर यूक्रेन सवाल संबंधी एक टीवी प्रोग्राम में भाग लिया। प्रोग्राम में छिन कांग के साथ साक्षात्कार में अमेरिकी होस्ट ने बार-बार बीच में बोला और 9 मिनटों में 23 बार छिंग कांग की बातों को रोका। लगता है कि यह होस्ट नहीं चाहती कि छिंग कांग पूरी तरह अपने विचार प्रकट करें।

दिलचस्प बात है कि एक दिन पहले इस होस्ट ने अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टीन, अमेरिकी सीनेट की रिपब्लिक पार्टी के नेता मैककोनार और अमेरिका स्थित यूक्रेन राजदूत मलकारोवा के साथ साक्षात्कार में इन तीनों मेहमानों को बीच में नहीं रोका। इस वीडियो के सोशल मीडिया पर जारी होने के बाद तुरंत लोगों में क्रोध पैदा हुआ। अमेरिका में प्रेस स्वतंत्रता का पाखंड स्पष्ट रूप से नजर आया है।

वास्तव में कई अमेरिकी मीडिया संस्थाओं की अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों से लोग जानते हैं कि उनके पास कोई नैतिक निम्न रेखा, पेशावर गुणवत्ता और मापदंड नहीं है। वे अमेरिकी राजनेताओं का साधन बनाकर अमेरिकी प्रभुत्व का एक भाग बन चुका है।

यूक्रेन संकट पर अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट से यह भी जाहिर है कि प्रभुत्व का विचार अमेरिकी मीडिया की खून में मिल गया है। कई अमेरिकी मीडिया संस्थाएं स्वेच्छा से अमेरिकी सरकार की मदद कर अमेरिकी प्रभुत्व की रक्षा करती हैं। अमेरिका सरकार की मांग से मेल खाने के लिए वे निरंतर लोगों के बीच अफवाहें फैलाती रहती हैं। गत वर्ष अमेरिकी केबल समाचार नेटवर्क ने खुलेआम रिपोर्ट में तथाकथित रूसी टैंक के फोटो का इस्तेमाल कर रूस द्वारा युद्ध छेड़ने की सूचना दी। लेकिन बाद में रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वास्तव में यह फोटो यूक्रेन के टैंक की है, जिसकी पार्श्वभूमि यूक्रेन रेलवे स्टेशन है। अब रूस-यूक्रेन मुठभेड़ के जारी होने से अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टें रूस के खिलाफ सूचना लड़ाई का एक भाग बन चुकी हैं।

दूसरी ओर, हम यह भी देखते हैं कि अमेरिका में कई मीडिया लोगों के पास न्यायता की भावना मौजूद है और वे उद्देश्य, निष्पक्ष और तर्कसंगत आवाज़ देते हैं। लेकिन खेद की बात है कि अमेरिकी लोकमत में उनका बार-बार बहिष्कार किया जाता है और उनकी आवाज़ सुनायी नहीं जा सकती।

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