परंपरा और आधुनिकता, तिब्बती लोग लेते हैं समृद्ध और रंगीन सांस्कृतिक जीवन का आनंद
तिब्बती ओपेरा देखना, क्वोच्वांग नृत्य करना, घुड़सवारी प्रतियोगिता में भाग लेना, नाच-गान करना, तिब्बती शतरंज खेलना, सुलेख रचनाओं की सराहना करना...... विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियां तिब्बत के विभिन्न स्थलों में फूल की तरह खिलत रही हैं। पठार पर लोगों का सांस्कृतिक जीवन दिन-ब-दिन रंगीन हो रहा है।
अगस्त महीने में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में हरित पर्वत और स्वच्छ पानी दिखाई देता है, जहां प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर है। ल्हासा शहर के त्वेलोंग दछिंग जिले के पांगफू गांव में “शिनलू संस्कृति केंद्र” गांववासियों के सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित करने का अच्छा स्थल बन चुका है, यहां नृत्य कमरा, वाचनालय, फिल्म कमरा, कंप्यूटर कमरा आदि विभिन्न प्रकार के कार्यात्मक क्षेत्र उपलब्ध हैं। साथ ही, विभिन्न कमरे पेशेवर ऑडियो और वीडियो प्लेबैक उपकरण से लैस होते हैं। आम समय में स्थानीय गांववासी नृत्य-गान का अभ्यास करने यहां आते हैं और अवकाश समय के सांस्कृतिक जीवन का आनंद उठाते हैं।
त्योहार के दिनों शिकाजे शहर की कांगपा कांउटी के लोगचोंगश्यांग गांव के गतिविधि कक्ष में लोगों की भीड़ रहती है। लोग यहां पुस्तक पढ़ते हैं, बातचीत करते हैं, गाते हैं और नाचते हैं, इसके माध्यम से वे आपसी भावनाओं और संचार को बढ़ाते हैं, बहुत खुश और आनंदित लगते हैं।
पुस्तकालय, संग्रहालय, गतिविधि कक्ष आदि स्थल से तिब्बती लोग सार्वजनिक सांस्कृतिक सेवाओं की सुविधा मिलती है। इसके साथ ही पठार पर तिब्बती लोग अनायास नाट्य प्रदर्शन दल की स्थापना कर अपने स्वयं के कार्यक्रमों की व्यवस्था करते हैं या औपचारिक प्रदर्शन में भाग लेते हैं।
साल 2017 में न्यिंगची शहर के सेक्वोला गांव में नाट्य प्रदर्शन टीम स्थापित की गई, चार सालों के विकास के बाद अब टीम में 20 से अधिक सदस्य हो चुके हैं। गांव में सीपीसी शाखा समिति के सचिव छ्याओ त्सेरिंग ने कहा कि अवकाश के समय गांववासी एक साथ नृत्य-गान करते हैं, बास्केटबाल खेलते हैं, पुस्तक पढ़ते हैं और ज्ञान सीखते हैं। सभ्य और स्वस्थ जीवन शैली लोगों के दिल में गहराई से बसी हुई है।