अक्षय ऊर्जा की वकालत करने वाले एक भारतीय ने बनाया पानी से चलने वाला चूल्हा
जलवायु परिवर्तन का सीधा असर, हमारे रोजमर्रा के जीवन में चरम मौसम की घटनाओं में देखने को मिलता है, जिनकी वजह से सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान हुआ है और मानव जीवन व कल्याण को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
इसके अलावा, अब खाना पकाना भी महंगा होता जा रहा है। खाना पकाने में इस्तेमाल हेाने वाले एलपीजी गैस सिलेंडर के दामों में आये दिन बढ़ोतरी होने से गृहिणियों से लेकर व्यापारियों का “अर्थशास्त्र” गड़बड़ा जाता है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जलवायु व्यवधान से निपटने में मानवता की विफलताओं पर रोष जताते हुए ध्यान दिलाया कि हालात की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए, सरलता से लागू किये जा सकने वाले उपाय जल्द-से-जल्द अपनाए जाने चाहिए।
इस क्रम में, उन्होंने ऊर्जा प्रणालियों की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को खत्म करने और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दिये जाने पर बल दिया है।
वहीं, चीन, भारत समेत अनेक देशों ने आने वाले कुछ दशकों में शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है। उनके विचार में पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं में तेजी लाना आवश्यक है। इसे देखते हुए, आज तमाम कंपनियां और लोग अपने नये-नये बिजनस प्लान और विचार सामने रख रहे हैं और उन्हें अमलीजामा पहना रहे हैं।
इस बीच, चीन में रह रहे एक भारतीय विनिर्माता और इनोवेटर, राजेश पुरोहित ने हाल ही में एक ऐसे चूल्हे का विनिर्माण किया है, जो पानी से चलता है। इस चूल्हे के इस्तेमाल से बेहद कम दाम पर और बिना किसी प्रदूषण के खाना पकाया जा सकता है।
राजेश पुरोहित ने बताया कि उनका हाइड्रोजन एटीएम उत्पाद इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक पर आधारित है, जिसमें हाइड्रोजन और पानी के अणुओं को अलग (तोड़ा) किया जाता है। ऐसा करने से ऊर्जा का सृजन होता है, और उससे पैदा होने वाली ऊष्मा पारंपरिक विद्युत तापन विधि की तुलना में 5 गुना अधिक होता है। यह एक नवीकरणीय ऊर्जा है, और इससे किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं होता है।