26 जनवरी:- 73वां गणतंत्र दिवस
देश भर में हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय पर्व के रुप में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन से देश गणतंत्र बना। 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर देश में संविधान लागू हुआ था और इसी उपलक्ष्य में गणतंत्र दिवस को हर्षोउल्लास से मनाए जाने की परंपरा भी प्रारंभ हो गई। संविधान लागू होने से दो महीने पहले यानी 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने देश के संविधान को मंजूरी दी थी और अपनाया था। इसलिए 26 नवंबर का दिन संविधान दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। लेकिन 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 26 जनवरी 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज का नारा दिया गया था और इसी याद में 26 जनवरी का दिन भी चुना गया। संविधान बनाने का कार्य आसान नहीं था और उसमें कुल दो वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे और संविधान को पूरा बनकर तैयार हुआ था। 26 जनवरी 1950 को जब सुबह 10 बजकर 18 मिनट बजे संविधान लागू हुआ उसके बाद ही 10 बजकर 24 मिनट पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रुप में शपथ ली। इसके बाद राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने पहले गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराया था। इसके बाद से ये परंपरा हरवर्ष से लगातार पिछले 73 वर्षों से सतत जारी है। अब तक देश में हुए सभी 14 राष्ट्रपतियों ने हर वर्ष नई दिल्ली के राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड की सलामी ली है। इस अवसर पर सेना के सभी अंगों की परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी होता है।
देश को यूं तो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजादी मिली लेकिन छह दिसंबर 1946 से देश का संविधान तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी और संविधान सभा का गठन हुआ था । इस दौरान संविधान ड्राफ्ट करने की समिति भी बनी और इस सबसे महत्वपूर्ण समिति की जिम्मेदारी डॉ. बीआर अंबेडकर ने संभाली और इसी वजह से उन्हें संविधान तैयार करने के महत्वपूर्ण सदस्यों में माना जाता है। इस प्रारुप समिति में सात सदस्य थे। संविधान लिखने वाली सभा में कुल 389 सदस्य थे। और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। इस संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। संविधान तैयार करने के दौरान कुल 12 अधिवेशन हुए थे। 26 नवंबर 1949 को प्रारुप समिति की ओर से डॉ. अंबेडकर ने सभा के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद को संविधान का अंतिम प्रारुप सौंप दिया। संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई थी और इस सभा की खास बात ये थी कि इसमें 9 महिलाएं भी शामिल थीं जिन्होंने संविधान लिखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। संविधान लागू होने के बाद से इसे ही देश की सर्वोच्च विधि माना गया। संविधान की खास बात ये है कि ये दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है।