ब्रिक्स देशों की वैश्विक भूमिका कैसे हो रही है मजबूत
ब्रिक्स देशों के मंच ने पिछले डेढ़ दशक में व्यापक उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें चीन, भारत व रूस की अहम भूमिका रही है। जिस तरह इन देशों ने क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का मिलजुल कर मुकाबला किया है, वह काबिलेतारीफ़ है। इस वर्ष भारत ने 13वीं शिखर बैठक का आयोजन किया, जबकि अगले साल चीन इसकी मेजबानी करेगा। एक तरह से यह भारतीय प्रधानमंत्री व चीनी राष्ट्रपति को फिर से एक मंच पर आने का मौका देगा। इसके साथ ही रूस का भी इसमें अहम रोल होगा।
यहां बता दें कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने हाल में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वार्ता की। इस दौरान ब्रिक्स देशों के सहयोग पर विचार-विमर्श हुआ। जिसमें चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन अगले साल ब्रिक्स मंच की अध्यक्षता करेगा। जाहिर है कि इस प्लेटफार्म में रूस का भी महत्वपूर्ण योगदान है। चीनी राष्ट्रपति के बयान से यह जाहिर होता है। उन्होंने कहा कि चीन रूस के साथ रणनीतिक समन्वय बनाए रखेगा और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग गहरा करेगा।
गौरतलब है कि ब्रिक्स देश दुनिया की करीब 42 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इतना ही नहीं वैश्विक जीडीपी में इनकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार में भागीदारी 16 प्रतिशत है।
इसके साथ ही इन देशों पर बहुपक्षवाद व वैश्विक स्तर पर विकासशील देशों की आवाज उठाने की जिम्मेदारी है। चीनी राष्ट्रपति शी के भाषण से इसका पता चलता है। उनके मुताबिक चीन बहुपक्षवाद की वकालत करेगा, बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था का समर्थन करेगा और खुली विश्व अर्थव्यवस्था का निर्माण करेगा। साथ ही चीन ब्रिक्स देशों के साथ व्यावहारिक सहयोग मजबूत कर सार्वजनिक स्वास्थ्य व ब्रिक्स प्लस मॉडल का विस्तार करने पर ज़ोर देगा। इस तरह चीन को उम्मीद है कि अगले साल ब्रिक्स बैठक में सकारात्मक परिणाम हासिल होगा।