वैश्विक स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभा सकता है चीन
कोरोना महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक शासन को पिछले दो वर्षों में व्यापक रूप से प्रभावित किया है। महामारी के कारण मौजूद अनिश्चितता अब भी खत्म नहीं हुई है। जिस तरह के कोरोना वायरस के नए-नए रूप सामने आ रहे हैं, वह दुनिया की अर्थव्यवस्था को और कमज़ोर कर रहे हैं। इससे विभिन्न देशों में आर्थिक मंदी का संकट गहराया हुआ है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग व संवाद बढ़ाने की आवश्यकता विशेषज्ञ बार-बार जताते रहे हैं। हालांकि चीन का आरोप है कि अमेरिका आदि कुछ देश समय-समय पर उसके अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर स्थिति को तनावपूर्ण बनाते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि इस सदी की सबसे बड़ी स्वास्थ्य आपदा ने 56 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है। जबकि 36 करोड़ से अधिक लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं। इसी से इस संकट की भयावहता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। आने वाले दिनों में भी वायरस का खतरा पूरी तरह टलने की संभावना नहीं लग रही है। इस चुनौती के सामने कई देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है। विशेषकर विकासशील और अविकसित देशों में स्थिति नाजुक है। जहां कुछ देशों में वैक्सीन तेज़ी से लगायी जा रही है, वहीं बहुत से देश ऐसे हैं, जहां अब तक बहुत कम टीकाकरण हुआ है। वैक्सीन की जमाखोरी भी एक बड़ा सवाल है। जिस तरह से अमेरिका व कुछ पश्चिमी राष्ट्रों ने वैक्सीन को बर्बाद होने के बावजूद जरूरतमंद देशों को नहीं दिया, वह चिंता का विषय है। लेकिन ऐसे माहौल में चीन की ओर से वैक्सीन सहायता व अन्य तरह की स्वास्थ्य मदद दी जा रही है।
चीन ने न केवल बड़े पैमाने पर अपने यहां महामारी को नियंत्रित किया, बल्कि 120 से अधिक देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को टीकों की 2 अरब से अधिक खुराकें प्रदान कीं। इसके साथ ही चीन ने वैक्सीन उत्पादन में 30 से अधिक देशों के साथ सहयोग किया। जिससे महामारी के खिलाफ लड़ाई में चीन का योगदान प्रमुख रूप से नज़र आता है।