साल 2021, अमेरिकी "मानवाधिकार रक्षक" पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है
अमेरिका में एक हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि अधिकांश अमेरिकी लोगों का मानना है कि साल 2021 "उनके जीवन का सबसे खराब वर्ष" रहा। अमेरिकी लोगों की यह आवाज इस देश में मानवाधिकार की स्थिति में और गिरावट को दर्शाती है।
राजनीतिक हेरफेर से लेकर कोविड-19 महामारी से मौतों में वृद्धि तक, फिर झूठे लोकतंत्र द्वारा लोगों के राजनीतिक अधिकारों को रौंदने तक, अल्पसंख्यक जातीय लोगों, खास कर एशियाई लोगों के खिलाफ भेदभाव को तेज करने से लेकर दुनिया भर में मानवीय आपदाएं पैदा करने वाले एकतरफावाद तक, चीन सरकार ने 28 फरवरी को "2021 में अमेरिका में मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्ट" जारी की, जिसमें विस्तृत डेटा और बड़ी संख्या में मामलों का उपयोग कर गत वर्ष में अमेरिका में मानवाधिकार की खराब स्थिति दिखाई।
महामारी से लड़ने में विफलता "अमेरिकी शैली के मानवाधिकारों" की एक बड़ी विडंबना है। 2021 में अमेरिका में नए कोरोना वायरस निमोनिया के पुष्ट मामलों की संख्या 3.451 करोड़ तक, और मौतों की संख्या 4.8 लाख तक पहुंच गई, जो साल 2020 से कहीं अधिक है। दोनों आंकड़े दुनिया में पहले स्थान पर हैं। इसके साथ ही अमेरिकी लोगों की जीवन प्रत्याशा में 1.13 वर्ष की गिरावट आयी, जो द्वितीय युद्ध के बाद से लेकर अब तक सबसे बड़ी गिरावट है। यह अमेरिकी राजनीतिज्ञों द्वारा लोगों के जीवन और स्वास्थ्य की अवहेलना में महामारी के निरंतर राजनीतिकरण का कु-परिणाम है। "लॉस एंजिल्स टाइम्स" के स्तंभकार माइकल हिल्ट्ज़िक ने अफसोस होकर लेख लिखा कि साल 2021 अमेरिकी इतिहास का सबसे बेवकूफी भरा साल रहा।
महामारी के अलावा, अमेरिका में कुछ अन्य क्षेत्रों में मानवाधिकार की खराब स्थिति भी मौजूद है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में अमेरिका में सामूहिक गोलीबारी के 693 मामले सामने आये, जो 2020 से 10.1 प्रतिशत अधिक था। गोलीबारी में 44 हज़ार लोगों की मौत हुई। इसके अलावा, अमेरिका में नस्लीय भेदभाव तेज रहा। न्यूयॉर्क शहर में एशियाई अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराध साल 2020 की तुलना में 361 प्रतिशत बढ़े! अमेरिका में जेल कर्मचारियों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन भी आम है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के विशेष रिपोर्टर फर्नांड डे वारेनस के कथन में मानवाधिकार संरक्षण के लिए अमेरिका कानूनी प्रणाली असंपूर्ण और पुरानी दोनों है, जिसके कारण इस देश में असमानता दिन-ब-दिन बढ़ रही है।