साल 2021, अमेरिकी "मानवाधिकार रक्षक" पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है
साल 2021 वह वर्ष भी था, जब अमेरिकी "मानवाधिकार रक्षक" अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। जनवरी में कैपिटल हिल में हिंसा से लेकर अगस्त में अफगानिस्तान से सैनिकों की जल्दबाजी वापसी तक, फिर दिसंबर में तथाकथित "लीडर डेमोक्रेसी समिट" की तमाशा जैसे समाप्ति तक, अमेरिका ने दुनिया को दिखाया है कि कैसे "अमेरिकी शैली के मानवाधिकारों" की प्रतिष्ठा गिर गई है।
18 दिसंबर 2021 को, "न्यूयॉर्क टाइम्स" वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, जांच से पता चला है कि इराक, सीरिया और अफगानिस्तान में 50 हज़ार से अधिक अमेरिकी हवाई हमले लापरवाह और गैर-लक्षित थे, जिसमें हजारों आम नागरिक मारे गए थे। इसके अलावा, अमेरिका ने ईरान, क्यूबा और सीरिया पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए, जिसने स्थानीय लोगों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
अमेरिकी राजनीतिज्ञ "लोकतंत्र" और "मानवाधिकार" की बात करते हैं, लेकिन उनके दिल स्वार्थ से भरे हुए हैं। उनके शब्दकोश में "मानवाधिकार" वास्तव में "आधिपत्य" है। इसी वजह से साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 48वें सम्मेलन में कई देशों ने अमेरिका की निंदा की कि वह दुनिया भर में मानवाधिकार का सबसे बड़ा विध्वंसक है।
अमेरिकी राजनीतिज्ञों को "मानवाधिकार" की आड़ में छिपे रहने के बजाय खुद को आईने में अच्छी तरह से देखना चाहिए। जैसा कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर स्टीफन वाल्ट बताते हैं कि अमेरिका को "पहले घरेलू समस्याओं का समाधान करना चाहिए और फिर से सोचना चाहिए कि वह दुनिया के बाकी देशों के साथ कैसे व्यवहार करे।"