चोर मचाए शोर वाली कहावत अमेरिकी राजनेताओं पर ही चरितार्थ होती है
ब्रिटिश अख़बार द टाइम्स ने 1 अप्रैल को रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें लिखा था कि रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ विशेष सैन्य कार्रवाई करने से पहले चीन ने यूक्रेन के सैन्य और परमाणु उपकरणों पर बड़े पैमाने पर साइबर हमला किया। यह तथाकथित संबंधित जानकारी यूक्रेन के राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो ने दी है।
यह बिल्कुल झूठ है। यूक्रेन के राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो ने तुरंत कई सोशल मीडिया के जरिए इस पर सफ़ाई दी और कहा कि उसने कोई भी मीडिया को उपरोक्त जानकारी नहीं दी है और इसकी जांच भी नहीं की थी।
साइबर हमले की चर्चा में वास्तव में अमेरिका सचमुच एक हैकर साम्राज्य है, जबकि चीन साइबर हमला का प्रमुख शिकार ही है। चीनी राष्ट्रीय इंटरनेट आपात केंद्र की जांच से पता चला है कि इस फरवरी से विदेशी संगठन ने चीन, रूस, यूक्रेन और बेलारूस पर साइबर हमला किया। चीनी नागरिकों के अकाउंट कोड, ऑफिस फाइल, निजी फाइल, ई-मेल, क्यूक्यू आदि सोशल सॉफ्टवेयर सब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो के साइबर हमले के निशाने बन गये हैं।
विश्लेषण के मुताबिक हमला करने के पत्ते मुख्यतः अमेरिका में हैं। कुछ समय पहले अमेरिका सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने खुलेआम रूस के खिलाफ साइबर प्रहार करने की अपील की। हम पूछना चाहते कि इसके बीच आखिरकार क्या संबंध है?
यह स्पष्ट है कि तथाकथित चीन द्वारा यूक्रेन के खिलाफ साइबर हमला करने की रिपोर्ट अमेरिका द्वारा यूक्रेन संकट से चीन को बदनाम करने का एक नया तरीका है, जो बिलकुल झूठ है। हमने ध्यान दिया कि रूस-यूक्रेन संकट पैदा होने के बाद कई अमेरिकी राजनेताओं और मीडिया संस्थाओं ने मिलकर चीन के बारे में गलत समाचार फैलाने की पूरी कोशिश की। यहां तक कि यह भी कहा कि चीन ने पहले ही रूस की सैन्य कार्रवाई को जाना था, चीन संभवतः रूस को सैन्य और आर्थिक सहायता देगा इत्यादि।