चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा से बढ़ी द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की उम्मीद
विश्लेषण के मुताबिक, यह यात्रा चीन-भारत संबंधों के लिए एक "बर्फ पिघलने वाली यात्रा" है। भारतीय मीडिया के अनुसार इस यात्रा के जरिए चीन द्विपक्षीय वार्ता को फिर से शुरू करने और इस साल चीन में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के सुचारू रूप से आयोजन की नींव रखना चाहता है। भारत के दृष्टिकोण से देखा जाए, दोनों पक्षों के बीच पिछले दो वर्षों से जारी तनाव ने लगभग 30 वर्षों में हासिल उपलब्धियों को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में यह यात्रा दोनों संबंधों में सुधार करने के लिए एक जरिया बन सकती है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि इस यात्रा से द्विपक्षीय रिश्तों के बेहतर होने की उम्मीद बढ़ रही है।
यात्रा से पहले, दोनों देशों के बीच कुछ सकारात्मक संकेत दिखाई दिये। कई हफ्तों से पहले, भारतीय फ़िल्म नॉट आउट (Kanaa) को चीन में रिलीज़ होने के बाद बॉक्स ऑफिस पर अच्छी रेटिंग मिली। इसके बाद, 21 मार्च को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी विमान हादसे पर शोक जताया। जबकि, भारत में चीनी राजदूत सुन वेइतुंग ने इसके लिए मोदी जी को धन्यवाद दिया।
वहीं इसी महीने भारत ने पड़ोसी देशों से 66 निवेश योजनाओं को मंजूरी देने की घोषणा की, इनमें चीन भी शामिल है। उधर विदेश मंत्री वांग यी की भारत की संक्षिप्त यात्रा एक सकारात्मक संकेत है। जबकि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के भी अगले कुछ महीनों में चीन का दौरा करने की संभावना है, ताकि दोनों देशों के बीच संबंधों की बहाली पर चर्चा हो सके।
उधर रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष जारी है, जिससे चीन और भारत के संबंधों में व्यापक सहमति, स्थिति और सामान्य हित भी सामने आए हैं। भारतीय मीडिया ने भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त जनरल के हवाले से कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल ने भारत और चीन को एक-दूसरे के प्रति अपने दृष्टिकोण को समायोजित करने के लिए प्रेरित किया है। भारत वाशिंगटन की गतिविधियों पर पूरा ध्यान दे रहा है और जानता है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण अमेरिका का रणनीतिक ध्यान हिंद-प्रशांत क्षेत्र से यूरोप की ओर स्थानांतरित किया जा सकता है।