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चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा से बढ़ी द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की उम्मीद

criPublished: 2022-03-28 20:33:04
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रूस-यूक्रेन संघर्ष से चीन-भारत संबंधों में एक सूक्ष्म मोड़ आया है, जिसमें चीन और भारत ने रूस के प्रति एक समान रुख अपनाया है। यूक्रेन के खिलाफ रूसी सैन्य अभियान पर संयुक्त राष्ट्र के मसौदा प्रस्ताव पर पिछले महीने वोटिंग करने से दूर रहकर दोनों देश शांति का आह्वान कर रहे हैं। यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद न तो चीन और न ही भारत ने यूक्रेन पर रूस की “विशेष सैन्य कार्रवाई” की निंदा की। साथ ही, अमेरिका और पश्चिमी देशों के अपने सहयोगियों और साझेदारों से रूस पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान करने के आधार पर नई दिल्ली सैन्य और आर्थिक क्षेत्रों में रूस के साथ सहयोग पर ज़ोर दे रहा है। जिनमें भारत का रूस से S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को खरीदना,और रूस से कच्चे तेल और कोयले जैसे ईंधन के आयात में बढ़ावा देना प्रमुख उदाहरण हैं।

हालांकि, हाल ही में अमेरिका रूस को लेकर भारत के रुख से खुश नहीं है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन पर रूस की “विशेष सैन्य कार्रवाई”को लेकर भारत के रुख पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ समर्थन दिखाने में भारत की स्थिति थोड़ी असमंजस वाली है। ऐसी अंतरराष्ट्रीय स्थिति और भू-राजनीति की पृष्ठभूमि में, चीन और भारत के बीच संबंधों में सुधार के लिये एक निश्चित अवसर पैदा हुआ है।

जैसे कि विदेश मंत्री वांग यी बार-बार ज़ोर देते हैं, चीन और भारत 280 करोड़ आबादी वाले सबसे बड़े विकासशील देशों व नवोदित अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिनिधि हैं और वैश्विक बहुध्रवीककरण, आर्थिक भूमंडलीकरण, सभ्यताओं की विविधता, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतांत्रिकरण बढ़ाने वाली दो मजबूत शक्तियां हैं। वर्तमान परिस्थिति में दोनों को संपर्क व समन्वय मजबूत कर विकासशील देशों के हितों की रक्षा में योगदान देने की जरूरत है।

लेकिन यह भी सच है कि इतिहास जैसे विभिन्न कारणों से, चीन और भारत के बीच सीमा मुद्दे पर मतभेद मौजूद हैं, जिनका थोड़े समय में संतोषजनक ढंग से हल मुश्किल है। हालांकि, वर्तमान दुनिया में सभी देशों का भविष्य, भाग्य व हित आपस में जुड़े हुए हैं, जैसे पहले कभी नहीं थे। टकराव से निकलने का कोई रास्ता नहीं है, सहयोग ही सही रास्ता है। कहा जा रहा है कि विदेश मंत्री वांग यी की यह यात्रा चीन-भारत संबंधों के लिये एक नई शुरुआत है, जो द्विपक्षीय रिश्तों को धीरे-धीरे पटरी पर वापस लाएगी।

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