वर्ष 2022 ब्रिक्स शिखर सममेलनः ब्रिक्स के सदस्यों और विश्व के सामंजश्य की परखी
अगर ब्रिक्स के सदस्य देश खासकर रूस ,भारत और चीन सामंजस्य दिखाएंगे, तो वर्ष 2022 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन वैश्विक रूख को बदल सकेगा ।कई पश्चिमी देशों के विश्लेषकों के विचार में ब्रिक्स महज सदस्य देशों के लिए सम्मानजनक प्रचार-प्रसार है ।पर ब्रिक्स देशों के आपस में जो सीमा-पार भुगतान तंत्र का विकास हो रहा है ,वह ग्लोबल बैकिंग नेटवर्क के विकल्प के नाते उन को धक्का दे सकेगा ।ध्यान रहे रूस-चीन व्यापार में अमेरिकी डॉलर का अनुपात वर्ष 2015 के लगभग 90 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2020 के 46 प्रतिशत तक आ गिरा है ।
ब्रिक्स देशों में विश्व की 41.5 प्रतिशत आबादी बसी हुई है ।इसलिए उन को शांति और व्यवस्था फिर कायम रखने की अधिक जिम्मेदारी है । वर्तमान में ब्रिक्स के सदस्य रूस ,भारत और चीन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं ।रूस और चीन पश्चिम के दबाव को झेल रहे हैं ,जबकि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर मतभेद मौजूद हैं ।
अवश्य ब्रिक्स का विभाजन कई देशों के लिए अनुकूल है ,पर यह ब्रिक्स सदस्यों और पूरे विश्व के प्रतिकूल है ।चीन और रूस के लिए पश्चिम के साथ मतभेद दूर करने में समय लगेगा ,पर चीन और भारत के मतभेद के खींचातानी से गंभीर परिणाम पैदा होंगे ।
सीमा के पश्चिमी सेक्टर पर भारत और चीन के सैनिकों का आमने-सामने होने में दो साल हो गये हैं ।दोनों देशों को इस के समाधान के लिए कदम उठाना चाहिए ताकि इस साल के देर में चीन में होने वाले शिखर सम्मेलन का मंच तैयार हो सके ।
3 हजार से अधिक वर्षों में चीन और भारत का आर्थिक आकार विश्व के आधे से अधिक रहा ।लेकिन औद्योगिक क्रांति से उत्तर अमेरिका और यूरोप 150 साल के स्वर्ण युग में दाखिल हुए ।कोविड-19 महामारी के बाद की शुरुआत में भारत और चीन वास्तव में चौराहे पर स्थित हैं ।
यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निकर्षणछेदनतापताडनैः । तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते श्रुतेन शीलेन कुलेन कर्मणा॥