2021 में चीन-भारत संबंधों पर एक नज़र
दूसरा, सीमा मुद्दे पर विवाद रहा है, लेकिन बड़े पैमाने वाली मुठभेड़ें नहीं हुईं। और तो और इस वर्ष दोनों देशों ने 5 बार सैन्य कमांडर स्तरीय वार्ताएं कीं, जिससे इस वर्ष सीमा समस्या और खराब होने से बच सकी।
तीसरा, दोनों के बीच व्यापार इस वर्ष एक खरब यूएस डॉलर को पार करने वाला है। 2021 के पहले 5 महीनों में द्विपक्षीय व्यापार रकम करीब 48.16 अरब डॉलर तक पहुंचा था। हालांकि चीन के प्रति भारत की आर्थिक व व्यापारिक नीति मैत्रीपूर्ण नहीं है, फिर भी चीन ने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाने पर ख्याल कर तदनुरूप जवाबी कदम नहीं उठाया और दोनों देशों की सप्लाई श्रृंखला और उद्योग श्रृंखला को सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की।
चौथा, लोगों के बीच आवाजाही में कुछ प्रगति मिली है। 18वीं चीन-रूस-भारत विदेश मंत्रियों की वार्ता में तीनों पक्षों ने त्रिपक्षीय थिंक टैंक संवाद मजबूत करने पर मंजूरी दी। यह दोनों देशों के बीच गैरसरकारी आवाजाही को प्रोत्साहित करने का संकेत है।
पांचवां, हालांकि कई मसलों पर दोनों की सहमतियां हैं, फिर भी दोनों के बीच मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, बहुपक्षवाद, महामारी रोकथाम, आतंकवाद विरोधी, क्षेत्रीय स्थिरता, मौसम परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय तंत्रों जैसे अहम क्षेत्रों में मतैक्य है। यह भविष्य में दोनों के बीच सहयोग करने के लिए लाभदायक है और द्विपक्षीय संबंधों के आगे विकास का आधार भी है।
3. भविष्य में चीन-भारत संबंधों का विकास
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 6 दिसम्बर को भारत लौटने वाले चीन स्थित भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री के साथ वीडियो मुलाकात में सुझाव पेश किये, जो भविष्य में चीन-भारत संबंधों के विकास के गाइड सिद्धांत माने जा सकते हैं। यानी कि दोनों देश एक-दूसरे को समझें, गलतफहमी न रखें। दूर से देखें, जबकि किसी एक घटना से चिंतित न हों। एक-दूसरे का समर्थन करें, एक-दूसरे का विरोध न करें। विकासशील देशों के समान हितों के बड़े लक्ष्य पर दोनों को भी एक साथ खड़ा होना चाहिए।