शीतकालीन ओलंपिक का आयोजन मानव समुदाय के लिए नयी आशा और एकता का संदेश
हालांकि, कोरोना महामारी के इस दौर में, पेइचिंग में ओलंपिक के संचालन के बारे में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रहीं थी, लेकिन चीन की “शून्य कोरोना संख्या” नीति ने इस खेल के संचालन के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। ओलंपिक से कुछ दिन पहले ही, पेईचिंग और थिएनचिन में कोरोना के कुछ मामलों ने अतंरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया और ओलंपिक के संचालन को लेकर अफवाहों का सिलसिला शुरू हो गया। लेकिन, स्थानीय सरकार की युद्धस्तर पर उठाए गए कदम ने इस महामारी को बढ़ने नहीं दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चुप करा दिया। चीन के लोगों का ओलंपिक के प्रति समर्थन को इसी से देखा जा सकता है कि पेइचिंग में जो दूसरे प्रांत के लोग काम कर रहे हैं, वे अपने परंपरागत त्योहार वसंत त्योहार को मनाने के लिए अपने गृहनगर वापस नहीं गए। यहाँ तक कि, इस खेल में भाग लेने वाले विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र स्वयंसेवक ओलंपिक से लगभग बीस दिन पहले से ही होटल में चिकित्सकों के निगरानी में रहने लगे, और पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद ही उन्हें बतौर स्वयंसेवक भाग लेने दिया गया। पेइचिंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय से 900 से भी अधिक छात्राों ने इस बार बतौर स्वयंसेवक ओलंपिक में भाग लिया है। एक छात्र ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि, “मैं हिंदी पढ़ती हूँ, और मुझे भारतीय प्रतिनिधि मंडल से मिलने का मौका मिला और उनका सहयोग करने का अवसर प्राप्त हुआ। हालांकि मेरी हिंदी उतनी अच्छी नहीं है लेकिन बतौर स्वयंसेविका काम करना मेरे लिए गौरव की बात है और इस काम के द्वारा मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ गया है”। वहीं एक दूसरे छात्र ने अपने अनुभव के बारे में कहा कि, “हालांकि, स्वयंसेवक का काम बहुत मुश्किल है लेकिन मुझे गर्व है कि विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों से मिलने का मौका मिला, जब फुरसत में होता हूँ तो उनके साथ चीनी संस्कृति के बारे में बात करता हूँ और उम्मीद है कि इस खेल के द्वारा दुनिया के लोग चीन को समझ पाएँगे”। अतः ओलंपिक के सफल संचालन और दुनिया के प्रतिनिधियों को सुखद अनुभव प्रदान करने के लिए न केवल स्थानीय निवासी बल्कि छात्र भी भरपूर समर्थन करते नजर आ रहे हैं।